देश के पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा होने के बाद उत्तराखण्ड में भी नेताओं ने अपनी बिसाद बिछानी शुरू कर दी है। जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के दिग्गज चुनावी तैयारियों में जुट गये हैं वहीं बगावती तेवरों को भी सहज के रखना इनके लिए काफी मशक्कत का काम साबित होगा। वहीं इन राष्ट्रीय दलों के लिए आम आदमी पार्टी भी काफी सिरदर्द साबित होगा। आम आदमी पार्टी ने भी बडी तेजी से उत्तराखण्ड में अपने पैर पसारने शुरू कर दिये तथा वार्ड स्तर में भी इसने अपने कार्यकर्ता बना दिये हैं तथा वह अपने क्षेत्र में सक्रिय भी दिखायी दे रहे है। उत्तराखण्ड में जहां एक ओर बसपा व सपा को कोई वजूद दिखायी नहीं दे रहा है और ना ही इन दलों के नेता यहां पर सक्रिय दिखायी दे रहे हैं। दूसरी और आप के तरफ लोगों का रूझान भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली मॉडल को देखकर लोग एक बार आप को भी आजमाने को तैयार है। जहां एक ओर भाजपा व कांग्रेस में बागी सामने आयेंगे तो वहीं दूसरी तरफ आप शांति से चुनाव की तैयारी में लगी हुई है। क्योंकि उसका अपना कोई कैडर वोट नहीं है वह तो इन राष्ट्रीय दलों के वोटों पर ही सेंध मारेगी। जो मतदाता जिससे नाराज होगा वह आप को ही अपना वोट देने का मन बना चुका है। जिससे इन दो बडे दलों के लिए काफी सिरदर्द साबित होगा। जहां एक ओर जनता को दिल्ली मॉडल को ध्यान में रखते हुए आप की तरफ झुक रही है तो वहीं दोनों राष्ट्रीय दल जनता को अपनी कोई नयी योजना व कार्यश्ौली नहीं बता पा रहे है। इन दोनों के पास अपने वहीं पुराने घिसे पिटे वादे है। वहीं दूसरी ओर आप नेता उत्तराखण्ड में आकर उत्तराखण्ड को दिल्ली मॉडल पर चिकित्सा व शिक्षा देने का वायदा कर रहे हैं और इनके वायदे पर जनता को विश्वास भी है कि जब वह दिल्ली कि जनता से वायदा करके उसको पूरा किया तो उनके साथ कैसे वादाखिलाफी करेंगे। इन सभी बातों को अगर गम्भीरता से लिया जाये तो आने वाले चुनाव भाजपा व कांग्रेस के लिए काफी परेशानियों भरा साबित होगा। कोई भी दल अपनी किसी भी सीट के लिए दावा नहीं कर सकता कि यह सीट उनकी आसानी से निकल जायेगी। क्योंकि जहां एक ओर दोनों दलों को अपने ही बागियों का सामना करना पडेगा तो दूसरी ओर आप पार्टी के दावेदार भी उनके वोट बैंक में सेंध मारने की तैयारी में है। जिससे यह बात तो साफ हो जाती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी दोनों राष्ट्रीय दलों का समीकरण बिगाड सकती है।