चुनाव लडूंगा नहीं, लड़वाऊंगाः हरीश

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पार्टी को चुनाव प्रचारक व प्रबंधन की ज्यादा जरूरत
जब भी चुनाव लड़वाया पार्टी की जीत हुई

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का कहना है कि वह 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे चुनाव लड़वायेंंगे।
हरीश रावत का कहना है कि पार्टी को उनकी ज्यादा जरूरत चुनाव प्रचार और चुनावी प्रबंधन के लिए है। इसलिए वह पार्टी का प्रचार और चुनावी प्रबंधन करना चाहते हैं उनका कहना है कि उन्होंने जब—जब पार्टी को चुनाव लड़वाया पार्टी को जीत मिली है। इसलिए उनका इरादा है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे और पार्टी का चुनावी प्रबंधन देखेंगे।
हालांकि हरीश रावत कब क्या कहते हैं और क्यों कहते हैं इसे समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है वह इससे पहले भी चुनाव न लड़ने की बात तो कह ही चुके है बल्कि अभी बीते दिनों उन्होंने 2022 के चुनाव को अपना अंतिम चुनाव भी कहा था। अगर यह चुनाव उनके राजनीतिक सफर का अंतिम चुनाव है तो फिर भला ऐसा कैसे हो सकता है कि वह चुनाव न लड़े। कई बार वह चुनाव न लड़ने की बात कहकर अंत में यह कहते हुए भी देखे गए हैं कि हाईकमान का आदेश हुआ तो अलग बात है।
2016 में उनके नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में प्रदेश कांग्रेस में हुई बड़ी बगावत के बाद 2017 के चुनाव में हरीश रावत ने इस बगावत को लोकतंत्र के साथ धोखा बताकर इसी को चुनावी मुद्दा भी बनाया था उनकी सोच थी कि जनता इसके लिए भाजपा को सजा देगी लेकिन हुआ इसके उलट, न सिर्फ खुद हरीश रावत को दोनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था बल्कि भाजपा 57 सीटों के साथ बंपर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। लंबे समय से कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान देखा जा रहा है। हरीश रावत व उनके समर्थक उनके चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात करते रहे हैं जबकि अन्य नेता उनका विरोध करते रहे हैं। दलित मुख्यमंत्री देखने की इच्छा जता चुके हरीश रावत अगर चुनाव भी नहीं लड़ना चाहते हैं और मुख्यमंत्री भी नहीं बनना चाहते हैं तो फिर वह आखिर चाहते क्या है? अब उनका कहना है कि जब भी उन्होंने चुनाव लड़वाये तो पार्टी की जीत हुई है। देखना होगा कि इस बार भी वह पार्टी को जीत दिला पाते हैं या नहीं।

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