राजधानी गैरसैंणः हरीश रावत का नया दांव, भाजपा को नहीं लेने देंगे चुनावी लाभ

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गैरसैंण को फिर बनाया गया चुनावी मुद्दा
राजधानी पर हावी है वोट की राजनीति

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी के मुद्दे पर एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा आमने—सामने हैं। भले ही गैरसैंण में राजधानी की नींव की ईंट कांग्रेस ने रखी हो लेकिन गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा करने वाली भाजपा इस मुद्दे को ले उड़ी है ऐसे में कांग्रेस नेताओं को इसका मलाल होना स्वाभाविक है। यही कारण है कि अब कांग्रेसी नेता अपनी सरकार बनने पर ढाई साल में गैरसैंण राजधानी शिफ्ट करने का दावा और वायदा जनता से कर रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि गैरसैंण राजधानी सूबे की जनता की भावनाओं से जुड़ा हुआ मुद्दा है वहीं नेताओं के लाभ हानि और वोट से जुड़ा हुआ मुद्दा भी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जब सत्ता में थे तो उनके पास अवसर था कि चाहते तो गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी घोषित कर सकते थे। लेकिन विपक्ष के बार—बार सवाल उठाने पर भी उन्होंने समय आने पर निर्णय लेने की बात कहकर इसे टालने में ही अपनी भलाई समझी। यह समझ से परे है कि आज कांग्रेस और हरीश रावत द्वारा गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने और ढाई साल में राजधानी गैरसैंण स्थानांतरित करने की बात क्यों कही जा रही है?
उनके इस बयान को भाजपा वोट की राजनीति बता रही है लेकिन कांग्रेस और हरीश रावत को इससे वोट का क्या फायदा हो सकता है? अगर हरीश रावत के इस बयान से मैदानी जिलों के लोग नाराज होते हैं तो इसका फायदा नहीं अपितु नुकसान ही होगा। क्योंकि दून हरिद्वार और उधम सिंह नगर जैसे जिलों में लगभग आधी विधानसभा सीटें निहित है। राज्य के 50 फीसदी मतदाता इन चार पांच जिलों में ही हैं जबकि 8 जिलों में यह बाकी मतदाता रहते हैं। हरीश रावत ने यह बयान ऐसा भी नहीं है कि बिना सोचे समझे दिया है। उन्होंने इस बयान से एक तीर से दो शिकार किए हैं। पहाड़ के मतदाताओं को तो उनका यह बयान अच्छा लगेगा ही साथ ही वह यह भी जानते हैं कि मैदानी जिलों के मतदाता इसे उस अर्थ में नहीं लेंगे क्योंकि वह इसे लेकर विश्वस्थ है कि अब दून से राजधानी को बदला जाना संभव नहीं है। जहां तक राजनीति की बात है भाजपा भले ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर चुकी हो, हरीश रावत उसे उसका राजनीतिक या चुनावी लाभ नहीं लेने देंगे यह भी उनके बयान से साफ है, यही कारण है कि वह ग्रीष्मकालीन राजधानी पर ही सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं अपितु सरकार बनने पर राजधानी गैरसैंण शिफ्ट करने की घोषणा कर रहे हैं।

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