डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा

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लोकसभा चुनाव के बाद सात राज्यों की 13 विधानसभा चुनावों के जो नतीजे आए हैं उन नतीजों के बाद भाजपा के अंदर सुलग रही आग को जिस तरह से हवा मिली है उससे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस कदर असहज हो गया है कि अब अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को साधना उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती हो गया है। खुले मंचों से पार्टी के नेताओं द्वारा कही गयी वह तमाम बातें ही हार की प्रमुख वजह रही है तथा इसके लिए जिम्मेदार नेताओं पर सीधा निशाना साधा जाना अब भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी के लिए गंभीर समस्या हो गया है। बात चाहे उत्तर प्रदेश की हो जहां मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री मौर्य आमने—सामने है या फिर महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल तथा उत्तराखंड की। हर जगह विरोध की चिंगारियां दिखाई दे रही है। पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता शुवेंदु ने यहां तक कह डाला है कि अब भाजपा को सबका साथ सबका विकास और सबके विश्वास की नीति पर काम नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि जो हमारे साथ हम उसके साथ की नीति पर काम करना चाहिए। वही यूपी के केशव मौर्य सरकार से बड़े संगठन में फेरबदल की बात कहकर योगी को निशाने पर ले रहे हैं। हार के लिए वह संगठन की उपेक्षा को जिम्मेदार ठहराते हुए सरकार को प्राथमिकता दिए जाने को गलत बता रहे हैं। भाजपा बीते समय में दूसरे दलों से नेताओं को तोड़ लाने उन्हें अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से अधिक महत्व दिए जाने को भाजपा की वर्तमान हालात के लिए जिम्मेदार मानते हैं। खास बात यह है कि भाजपा के यह नेता अब मोदी और शाह के साथ—साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्षों को भी जिम्मेदार ठहराने से नहीं चूक रहे हैं। सवाल यह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जो अब इस आंतरिक विरोध को दबाने का प्रयास कर रहा है उसमें वह कामयाब हो पाएगा? प्रधानमंत्री मोदी आज यूपी के कार्यकर्ताओं से मिलने वाले हैं। यूपी में जल्द ही खाली पड़ी 10 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं वही तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव भी सर पर हैं अगर भाजपा अपने आंतरिक विरोध को समय रहते नहीं रोक पाई तो इन चुनावों में उसकी हार का मतलब क्या होगा इसे भाजपा के नेता भी अच्छी तरह से जानते हैं। भाजपा के खिलाफ खड़ी हो चुकी देश की जनता को साधने और पार्टी के खिलाफ विद्रोह की सीमा रेखा पर खड़े कार्यकर्ताओं को मनाने व समझाने की जो दोहरी चुनौती शीर्ष नेतृत्व के सामने खड़ी है उससे अब निपट पाना आसान काम नहीं रह गया है। सरकार के सामने खड़े विपक्ष ने उसे पहले ही बैक फुट पर धकेल दिया है और सरकार की हालत यह है कि वह अब आने वाले बजट में युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए कुछ लोक लुभावन फैसला करने जा रही है वहीं राज्यों की सरकार जहां चुनाव होने हैं वह भी अग्नि वीरों व बेरोजगारों के कल्याण की योजनाएं ला रही है। हरियाणा सरकार ने अग्नि वीरो का 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा कर दी है वही महाराष्ट्र सरकार 12वीं पास कर चुके उन युवाओं को जो नौकरी की तलाश कर रहे हैं 6 हजार रूपये प्रति माह देने की घोषणा कर दी है। यह सब जो कुछ भी हो रहा है मजबूत विपक्ष के दबाव व संभावित हार के डर के कारण ही हो रहा है। लेकिन इस सब के बाद भी भाजपा अपनी कमजोर होती स्थिति से अपना बचाव कर पाएगी यह आने वाला समय ही बताएगा।

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