आईने से आंख मिलाने का हौसला

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लोकसभा के चुनावी नतीजों ने देश को एक मजबूत विपक्ष देकर लोकतंत्र को सिर्फ नई ताकत ही नहीं दी है बल्कि उस भाजपा के नेताओं को आईने से आंख मिलाने का हौसला भी दिया है जिसके बारे में कहा जाता है कि आईना कभी झूठ नहीं बोलता। बीते 10 सालों के मोदी शासन काल में जो भाजपा के नेता यह तक भूल गये थे कि वह भी नेता है सांसद और विधायक या मंत्री हैं और उन्हें भी अपनी बात कहने का हक है वह सिर्फ मोदी—मोदी करने या रटने के लिए ही नहीं बने है,ं उन्हें इस चुनाव के नतीजों ने आईने से आंखें मिलाने का हौसला भी दिया है। यूं तो अब अनेक भाजपा नेता खुलकर अपनी बात सामने रखते हुए यहां तक कह रहे हैं कि अब पार्टी मोदी के दम पर या मंदिर—मस्जिद और मुसलमान के मुद्दे पर चुनाव नहीं जीत सकती है, लेकिन इसकी एक बानगी उत्तराखंड में देखने को मिली जब पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने कार्य समिति की बैठक में तमाम बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने वह सब कुछ कह डाला जिसे कहने का साहस वह अपने पूरे राजनीतिक जीवन में नहीं कर सके, या बीते 10 सालों में इस पार्टी का कोई नेता नहीं कर सका है। उनका यह कहना कि अब नेता पीछे छूट गए हैं और जनता आगे निकल चुकी है। भाजपा नेतृत्व को यह साफ संदेश देता है कि जनता पर आपकी तानाशाही अब नहीं चल सकती है। मोदी के चेहरे पर चुनाव जीतने वाले सांसदों को यह नहीं समझना चाहिए कि उन्होंने कोई तीर मार लिया आज जो मंच पर बैठे हैं कल वह सबसे पीछे वाली लाइन में बैठे नजर आ सकते हैं और जो पीछे बैठे हैं वह सबसे आगे हो सकते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं की ताकत क्या होती है? इसे समझने की जरूरत है। उनकी उपेक्षा आपको कितनी महंगी पड़ सकती है यह नहीं भूलना चाहिए। बाहर से आने वालों को तरजीह देना और अपने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का नतीजा हमारे सामने है। प्रदेश अध्यक्ष भटृ जो कहते थे कि आप भाजपा के साथ आओ आपको चुनाव जिताकर संसद व विधानसभा में भेजना की हमारी गारंटी है, उन्हें तीरथ ने जिस तरह आईना दिखाया उसका कोई जवाब नहीं हो सकता। इस मंच से उन्होंने जो कहा जिस भी शब्दावली में कहां जिसके भी बारे में कहा भले ही किसी को अच्छा लगा हो या न लगा हो लेकिन मंच से नीचे बैठे कार्यकर्ता व पदाधिकारियों ने जिस तरह तालियां बजाकर उनका समर्थन किया वह यह बताता है कि उन्होंने जो कहा सच कहा और वह भाजपा के कार्यकर्ताओं को जरूर अच्छा लगा। तीरथ जैसा सच्चा और पक्का कोई भाजपाई ही इतना बड़ा साहस दिखा सकता है, किसी चापलूस नेता के पास इतनी हिम्मत हो ही नहीं सकती है। भाजपा उनके द्वारा दिखाए गए आईने से क्या सबक लेती है? या दूसरे नेता इससे कितना चिढ़ते हैं अलग बात है, लेकिन इस सच बयानी के लिए तीर्थ सिंह रावत साधुवाद के पात्र जरूर है।

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