उद्यान घोटाले में भाजपा विधायक का नाम आने से राजनीति में आया उबाल

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  • हाई कोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश से हुआ खुलासा
  • रानीखेत विधायक के भाई को दिए गए सेब के पौध

देहरादून। उद्यान विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले के तार भाजपा और भाजपा विधायक से जुड़ने से सूबे की सियासत में हलचल पैदा हो गई है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर जहां आक्रमक हो गई है वहीं भाजपा अपने विधायक के बचाव में आती दिख रही है।
उल्लेखनीय है कि जिस उद्यान विभाग के घोटाले को लेकर सरकार द्वारा एसआईटी जांच कराई जा रही थी तथा सरकार पर बढ़ते दबाव के चलते उघान निदेशक डा. एच एस बवेजा को निलंबित किया गया उस मामले में एसआईटी जांच से संतुष्ट न होने पर बीते दो दिन पूर्व ही हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप गई है उस मामले में अब एक और नया मोड़ आ गया है। इस घोटाले की सीबीआई जांच के जो आदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए हैं उसमें रानीखेत से भाजपा विधायक प्रमोद नैनवाल का नाम भी है जिसमें उनके भाई सतीश नैनवाल को सेब की 2402 पौध दिए जाने की बात कही गई है।
इस तथ्य की जानकारी मिलने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह घोटाला भाजपा सरकार के कार्यकाल का ही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि भाजपा के तमाम नेताओं के नाम घोटाले में सामने आ रहे हैं। भर्ती घोटाले के बाद अब उघान घोटाले में भाजपा नेताओं की संलिप्ता सामने आ गई है। उनका कहना है कि यह भाजपा की जीरो टॉलरेंस की नीति है। भाजपा का असली चरित्र यही है कि वह करती कुछ है बताती कुछ है और दिखाती कुछ है। उन्होंने कहा कि अब देखना यह है कि सीबीआई अपनी जांच में क्या करती है।
उधर इस मामले में भाजपा अपने विधायक के बचाव में आ गई है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ का कहना है कि उनकी रानीखेत विधायक नैनवाल से बात हुई थी उनका कहना है कि उनके पास अपनी पैतृक जमीन है जिस पर सेब के पौधे लगाए गए हैं। जबकि आरोप है कि उन्होंने वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण किया है। महेंद्र भटृ का कहना है कि पौध की खरीद व जमीन में कहीं गड़बड़ी पाई जाएगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। कांग्रेस को तो बात का बतंगड़ बनाने की आदत है। भ्रष्टाचार किसी ने भी किया हो अगर भ्रष्टाचार हुआ है तो कार्रवाई भी जरूर होगी।
सीबीआई को इस घोटालेकी जांच सौंपी जा चुकी है ऐसे में इस बड़े घोटाले में कई सफेदपोशों के लपेटे में आने की उम्मीद है। देखना यह है कि इसकी लपटें किस—किस तक पहुंचती है और किसने इस घोटाले का कितना फायदा उठाया है।

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