धामी के चुनावी फैसले

0
409

चुनावी साल में सभी सरकारों द्वारा उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना जो उन्हें फिर से सत्ता में बनाए रखें यह एक स्वाभाविक बात है। बहुत कम नेता और सरकारें ऐसी होती है कि वह सत्ता में आने के साथ ही चुनाव के दौरान जनता से किए गए वायदों को पूरा करने पर काम शुरू कर देती हैं और चुनावी साल में उन्हें यह सोचने की जरूरत नहीं पड़ती है कि जनता की अदालत में जाकर क्या बताएंगे या क्या जवाब देंगे? लेकिन उत्तराखंड की सरकार के साथ ऐसा नहीं है जिसकी वजह है सरकार द्वारा अपने पहले 4 साल में कोई काम नहीं किया जाना है। कई लोग सवाल पूछते हैं कि चुनावी साल में एक प्रचंड बहुमत वाली भाजपा सरकार को बार—बार मुख्यमंत्री बदलने की जरूरत क्यों पड़ी? तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में अब पुष्कर सिंह धामी को यह जिम्मेवारी पार्टी हाईकमान द्वारा दी गई है। निश्चित रूप से सिर्फ 6 महीने के अल्प समय में उन्हें वह सब काम करना है जिसके लिए 5 साल का समय दिया जाता है। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के विवादित निर्णय के कुप्रभाव को आधारहीन बनाना भी उनके लिए बड़ी चुनौती है। अभी उन्हें कार्यभार संभाले सिर्फ एक माह हुआ है उन्होंने इस एक माह में बहुत कुछ किया है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इस 1 माह के उनके कामकाज को देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि वह सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। वह भाजपा को 2022 में सत्ता में वापसी करा पाएंगे या नहीं? यह कहना तो मुश्किल है लेकिन उनके द्वारा जो कुछ भी किया जा रहा है वह सिर्फ जीत के लक्ष्य को सामने रखकर ही किया जा रहा है। साथ ही उनके पास अधिक समय नहीं है इसलिए वह अपने काम को पूरी तेजी के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। उनके द्वारा 30 दिन में 30 बड़े फैसले किए गए हैं। जिनमें इस बात की साफ झलक मिलती है कि सैनिकों, महिलाओं और युवाओं के वोट बैंक को लक्ष्य बनाकर ही वह काम कर रहे हैं। सूबे में हर तीसरा परिवार सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़ा है इसकी चुनावी महत्ता को सभी जानते हैं। धामी ने द्वितीय विश्व युद्ध की वीरांगनाओं की पेंशन में 2000 की वृद्धि कर दी है। सैनिकों के बच्चों के लिए हल्द्वानी में छात्रावास की घोषणा भी वह कर चुके हैं तथा एक सितंबर से सैन्य सम्मान यात्राएं भी निकालने की तैयारी है। महिलाएं जिनका वोट प्रतिशत 48 फीसदी है उनके लिए मुख्यमंत्री द्वारा महालक्ष्मी योजना लांच की गई है। युवाओं के लिए तो वह तमाम घोषणाएं कर ही चुके हैं जिसमें लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा में 1 साल की आयु सीमा बढ़ाने और एनडीए व सीडीएस परीक्षा पास अभ्यर्थियों को साक्षात्कार की तैयारियों को 50,000 अनुदान देने की घोषणा मुख्य है। यही नहीं राज्य में नौकरी के लिए बंपर भर्तियां भी आने वाली हैं। कोरोना में अनाथ हुए बच्चों के लिए वात्सल्य योजना, कोरोना वारियर्स को करोड़ों की सम्मान निधि दिए जाना जैसे कदम उन्हें चुनावी लाभ दिला सकते हैं। देखना होगा कि उनके काम उन्हें चुनाव में सफलता के कितने करीब ले जा पाते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here