मजाकः शस्त्र लाईसेंस के आवेदकों को दस्तावेज जमा करने हेतु मिलता है एक सप्ताह का समय

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स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनने की अवधि ही 15 दिन होती है

देहरादून। शस्त्र लाईसेंस बनवाने के लिए आवेदक को थाना पुलिस द्वारा 11 अभिलेख मांगे जाते हैं और उन 11 अभिलेखों को जमा करने हेतु एक सप्ताह सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है जो एक मजाक सा लगता है। क्योंकि एक ही अभिलेख के आवेदन करने पर उसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय ने ही 15 दिन का समय निर्धारित किया है तो फिर एक सप्ताह में अभिलेख कैसे जमा होंगे इसके बारे में अनुमान लगाना ही मूर्खता होगी?


उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी कार्यालय में शस्त्र लाईसेंस के लिए आवेदन करने के पश्चात वह आवेदन एसएसपी कार्यालय से होता हुआ सम्बन्धित थाना चौकी पर पहुंचता है। उसके बाद मजाक का समय शुरू हो जाता है। सम्बन्धित थाना पुलिस द्वारा आवेदक को एक पर्चा थमा दिया जाता है जिसमें 11 बिन्दुओं पर आवेदक को अभिलेख जमा कराना अनिवार्य होता है। उस पर्चो पर यह भी अंकित किया गया है कि उक्त अभिलेख सात दिन के अन्दर जमा कराये अगर समयावधि पर अभिलेख जमा नहीं कराये गये तो आवेदन को निरस्त कर वापस भेज दिया जायेगा। यह अपने आपमें काफी सोचने वाला विषय बन जाता है। आवेदक को दिये गये पर्चे में सबसे पहला कॉलम मूल स्थाई निवास प्रमाण पत्र जमा कराना है। अब सोचने वाली बात है कि जब जिलाधिकारी कार्यालय तक ने मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 15 का समय निर्धारित किया है। उससे ज्यादा समय तो लग सकता है लेकिन 15 दिन से पहले मूल निवास प्रमाण पत्र जारी नहीं होता। अब देखने वाली बात है कि एक अभिलेख को पाने के लिए 15 दिन का समय निर्धारित है तो एक सप्ताह में पूरे अभिलेख कहां से जमा हो जायेगें। ऐसा नहीं है कि थाना चौकी पुलिस इस बात से अनभिज्ञ है लेकिन उसके बावजूद आवेदक से ऐसा मजाक क्यों किया जाता है यह समझ से बाहर की बात है। इसके अलावा चिकित्सा प्रमाण पत्र, राजस्व विभाग के राजस्व अधिकारी का प्रमाण पत्र, शस्त्र चलाने सम्बन्धी प्रतिसार निरीक्षक पुलिस लाईन का प्रमाण पत्र, राज्य राइफल एसोसिएशन संघ का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, दो वर्षो का टैक्स रिटर्न आय प्रमाण पत्र जैसे अभिलेखों को एकत्रित कराने के लिए आवेदक को रात दिन एक भी करनी पडे तब भी एक सप्ताह का समय कम पडता है। इस बात को पुलिस विभाग भी जानता है। क्योंकि मूल निवासी प्रमाण पत्र की जरूरत उनको भी पडती है और उन्होंने कितने दिन में बनवाया होगा इससे वह भी वाकिफ हैं। उसके बावजूद वह आवेदक से इनता अच्छा मजाक कैसे कर लेते हैं यह पुलिस विभाग में एक कला ही माना जायेगा कि सबकुछ पता होते हुए भी वह ऐसा मजाक कर लेते हैं।

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