मानसूनी आपदा, बड़ी चुनौती

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मानसून काल आपदाओं के लिहाज से उत्तराखण्ड राज्य के लिए हमेशा ही एक बड़ी चुनौती रहा है। तमाम राहतों के साथ बड़ी बड़ी चुनौतियां अपने साथ लेकर आने वाले मानसून से पहाड़ व मैदानी क्षेत्र के लोगों की दुश्वारियंा और अधिक बढ़ जाती है तथा उन्हे भारी जानमाल का नुकसान होता है। यूं तो पहाड़ का जीवन पहाड़ जैसी समस्याओं से भरा होता है लेकिन मानूसन काल में पूरे उत्तराखण्ड का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। भारी बारिश व बादल फटने की घटनाएं तो जैसे इस पहाड़ी राज्य के लिए आम बात है। बीती रात भी राज्य के कई पहाड़ी व मैदानी हिस्सों में भारी बारिश के बीच बादल फटने की घटनाएं हुई। जिसमें कई मकान मलबे में तब्दील हो गये वहीं कुछ लोगों के मरने व लापता होने की बात भी सामने आयी है। इस दौरान अकेले राजधानी देहरादून में जहंा थानो रोड पर एक पुल टूट गया वहीं मालदेवता में बादल फटने से कई मकान ध्वस्त हो गये यही नहीं यहंा से जब तक लोगों को रेस्क्यू किया जाता तब तक उनके कई मवेशी भी मलबे की चपेट में आकर लापता हो गये। भारी बारिश ने पूरे राज्य का जन जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। राज्य में बीती रात से हो रही बारिश के चलते कई राजमार्ग और सम्पर्क मार्ग अवरूद्व हो गये है जिन्हे खोलने के प्रयास जारी है। कई पुलों के टूटने व बहने से आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीती रात की बारिश से राज्य के सैकड़ो गांव ऐसे है जिनका जिला मुख्यालयों से सम्पर्क कटा हुआ है। भले ही आपात स्थिति से निपटने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व स्थानीय प्रशासन की लम्बी कतारें रहती है लेकिन फिर भी राज्य का आपदा प्रबन्धन अभी उतना चुस्त दुरस्त नही है जो लोगों की जान माल की सुरक्षा की गांरटी दे सके। आपदा प्रबन्धन क्षेत्र में अभी बहुत काम करने की जरूरत है जिससे राज्य में आपदा के समय अधिक राहत मिल सके।

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