पलायन के निवारण पर माथापच्ची

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सीएम ने ली पलायन आयोग की समीक्षा बैठक
आयोग की रिपोर्टो की समीक्षा को समिति बनाई

देहरादून। पलायन की समस्या का निवारण कैसे हो तथा 2025 तक पलायन को कैसे रोका जाए? आयोग और अधिकारी इनके निवारण पर विचार करें साथ ही अब पलायन आयोग को पलायन निवारण आयोग के नाम से जाना जायेगा।
यह बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में आयोजित पलायन आयोग की समीक्षा बैठक में कही। मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य से पलायन का सबसे अधिक बड़ा कारण रोजगार की कमी है उन्होंने कहा कि स्वरोजगार व स्वावलंबन के जरिए ही राज्य से पलायन को रोका जा सकता है। 2025 तक उत्तराखंड राज्य को पलायन मुक्त करने के लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए अधिकारी और आयोग इसके निवारण पर मंथन करें।
उल्लेखनीय है कि राज्य गठन के बाद भी राज्य से लगातार हो रहे पलायन के कारण पहाड़ों के गांव निर्जन हो रहे हैं जो एक चिंता का विषय है। राज्य की भाजपा सरकार द्वारा 2017 में राज्य में पलायन रोकने के लिए जो पलायन आयोग बनाया गया था उसके द्वारा अब तक शासन को अट्ठारह रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। ऐसे में इस पलायन आयोग का गठन का भी कोई फायदा राज्य को होता नहीं दिख रहा है। अब राज्य सरकार ने पलायन आयोग की रिपोर्ट के अध्ययन पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है जो सरकार को आयोग की सिफारिशों के बारे में बताइएगा।
आज सचिवालय में हुई इस समीक्षा बैठक में एक गांव, एक सेवक योजना (अवधारणा) पर काम करने की बात कही गई है। हर गांव के इस सेवक द्वारा इस बात की जानकारी आयोग और सरकार तक पहुंचाई जाएगी कि अगर कोई गांव छोड़कर जा रहा है तो उसकी क्या वजह है? सरकार के पास अभी तक न तो पलायन का कोई अपडेट आंकड़ा है और न ही रिवर्स पलायन की कोई पुख्ता जानकारी है। क्योंकि बीते 4 सालों में ऐसा कोई सर्वे या गणना नहीं हुई है। जो भी बातें या आंकड़े हैं वह सब हवा—हवाई ही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि रोजगार के संसाधनों की कमी पलायन का सबसे बड़ा कारण है तथा स्वरोजगार योजनाओं और स्वाबलंबन के जरिए ही राज्य से पलायन को रोका जा सकता है।

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