अग्निपथ पर भड़की आग

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केंद्र सरकार द्वारा सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं में भारी रोष है। 4 साल के लिए सेना में नौकरी दिए जाने के फैसले ने युवा बेरोजगारों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है युवाओं में आक्रोश उस हद तक है कि वह अब सड़कों पर उतर आए हैं और हिंसक प्रदर्शन पर आमादा हैं। बीते कल 10 राज्यों में इन युवाओं ने इस कदर तांडव किया कि पांच टे्रनों को फूंक डाला और दर्जनों ट्रेनों में तोड़फोड़ की और कई राज्यों में सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। आज दूसरे दिन भी यह विरोध प्रदर्शन जारी है आज सुबह—सुबह दो बिहार में तथा एक उत्तर प्रदेश में 3 ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया है। पुलिस इन छात्रों और बेरोजगार युवाओं पर लाठियां भांज रही है वहीं अब तक सैकड़ों प्रदर्शनकारी छात्र व युवाओं की गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा सहित तमाम भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अब इस अग्निपथ योजना को सही ठहराते हुए इसके लाभ गिनाने में लगे हुए हैं तथा सरकार ने इसकी भर्ती की आयु सीमा भी बढ़ाकर 21 साल से 23 साल कर दी है कल गृह मंत्री अमित शाह ने भी अग्नि वीरों को सशस्त्र सुरक्षाबलों में नौकरी में वरीयता देने की बात कही थी वह कई राज्य पुलिस भर्ती में वरीयता देने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन छात्र कुछ भी सुनने और मानने को तैयार नहीं है। भाजपा की सरकार और नेताओं के पास अपने तर्क हैं तथा वह यह प्रचारित कर रहे हैं कि विपक्ष के नेता युवाओं को भड़का रहे हैं गुमराह कर रहे हैं। लेकिन यह पूरा सच नहीं है। बीते दो दशक में सरकार इन बेरोजगारों को रोजगार देने में असफल साबित हुई है। देशभर के युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं बात अगर सेना में भर्ती की की जाए तो युवाओं के पास सेना में जाने के लिए दो—तीन साल का ही मौका होता है बीते दो सालों से सेना में भर्ती बंद है जिसके कारण लाखों युवा यह मौका गंवा चुके हैं और उनकी तैयारी व मेहनत पर पानी फिर चुका है। अब सरकार इन युवाओं को 4 साल की नौकरी का ऑफर दे रही है जो उन्हें पसंद नहीं आ रहा है। सरकार भले ही इन बेरोजगारों के गुस्से को विपक्ष के भड़काने से जोड़ रहे हो लेकिन भाजपा नेता वरुण गांधी का कहना है कि सरकार भी 5 साल के लिए चुनी जाती है फिर युवाओं की नौकरी 4 साल के लिए क्यों? सवाल यह है कि क्या वरुण गांधी भी इन युवाओं को भड़का रहे हैं। जब किसान आंदोलन हुआ तब भी इसे विदेशी संरक्षण और राजनीतिक षड्यंत्र बताया गया था। सरकार क्या यह चाहती है कि वह कुछ भी करें उस पर सहमति की वह सबको लगानी ही होगी। सरकार को इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि 8 साल में उसने कितने बेरोजगारों को रोजगार दिया है और आज अगर बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी हो गई है तो उसका क्या कारण है? सरकार सिर्फ अपने हित देख रही है उसे इन युवा और बेरोजगारों की पीड़ा और दर्द को भी समझने की जरूरत है। वह इस समस्या का ठीकरा यह कहकर कि युवाओं को भड़काया जा रहा है गुमराह किया जा रहा है दूसरों के सर फोड़ कर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है।

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