कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी

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भितरघात बना हार का कारणः गोदियाल
हार के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेवार नहींः नवप्रभात

नई दिल्ली/देहरादून। पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस हाईकमान के तेवर सख्त नजर आ रहे हैं तथा सभी राज्यों के सांगठनिक ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है। हाईकमान ने सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से लिए गए इस्तीफों के बाद पूरे सांगठनिक ढांचे को बदलने का काम शुरू हो चुका है, वही इस बड़ी हार का कारण तलाशने पर भी गौर किया जा रहा है। सभी राज्यों के लिए समीक्षक तय किए जा चुके हैं जो होली के बाद इन राज्यों में जाएंगे और हार के कारणों पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को देंगे वहीं नए सांगठनिक ढांचे का खाका भी तैयार करेंगे।
उत्तराखंड के लिए अविनाश पांडे को समीक्षक के तौर पर दून भेजा जा रहा है। जो कुछ समय यहां रहकर पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी राय लेंगे और सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे। इस हार के बाद जिस तरह से सूबे के कांग्रेसी नेता एक दूसरे पर आरोपों की बरसात कर रहे हैं उससे पार्टी की भारी किरकिरी हो रही है। लाख नसीहतों के बाद भी यह नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
इस बीच प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके गणेश गोदियाल ने एक बार फिर बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि कहीं न कहीं भितरघात तो हुई जिसके कारण पार्टी की हार हुई है। उल्लेखनीय है कि पद पर रहते हुए उन्होंने पहले ऐसी कोई बात नहीं कही थी। बीते कल विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा नेता विपक्ष प्रीतम सिंह पर निशाना साधते हुए कहा गया था कि प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव कांग्रेस की गुटबाजी को नहीं रोक सके। एक गुट के लोगों ने लगातार संगठन तथा हरीश रावत के खिलाफ काम किया तथा प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के दिशा निर्देशों के खिलाफ काम किया और उन्हें सहयोग नहीं किया उनके बाद अब गणेश गोदियाल भी उन्हीं की भाषा बोलते दिख रहे हैं। उनका भी कहना है कि कहीं न कहीं भितरघात तो हुआ है जिसके कारण हमारे प्रत्याशी हारे। उधर कांग्रेस नेता नवप्रभात भी अब इस बयानबाजी के अखाड़े में कूद गए हैं उनका कहना है कि हार के लिए किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा गया था सभी फैसले भी सामूहिक रूप से लिए गए फिर किसी एक व्यक्ति को कैसे जिम्मेवार कहा जा सकता है। उनका तो यहां तक कहना है कि जो अब टिकट बेचने का आरोप लगा रहे हैं वह अब तक क्यों चुप थे उन्हें जब पता चला था कि कहीं कुछ गलत हो रहा है तो उन्हें तभी बताना चाहिए था।

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