मिशन सिलक्याराः नौ दिन चले अढाई कोस

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  • हादसे के चार दिन बाद भी प्रगति शून्य
  • 80 घंटे से सुरंग में फंसी हैं 40 जिंदगियां
  • प्लान बी भी फेल, आगर मशीन खराब
  • काम ठप, कर्मचारी व परिजनों के सब्र का बांध टूटा

उत्तरकाशी। यमुनोत्री हाइवे पर धरासू के पास सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों की जान बचाने के लिए चार दिनों से चल रहा राहत और बचाए कार्य अभी तक इंच भर भी आगे नहीं बढ़ सका है जिसके कारण उन चालीस जिंदगियों पर अब संकट और भी अधिक बढ़ गया है। अब तक के राहत व बचाव कार्य से नाराज कर्मचारियों के परिजनों और सुरंग में फंसे लोगों का भी सब्र का बांध टूटता जा रहा है उन्होंने आज कंपनी के प्रबंधकों और सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा किया जिसे लेकर पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के साथ उनकी तीखी झड़प व नोक झोंक भी हुई।
कर्मचारी और परिजनों का आरोप है कि चार दिनों से सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकलने का ड्रामा चल रहा है लेकिन धरातल पर कोई प्रगति नहीं हो रही है। ऐसे में सुरंग में फंसे लोग भला कब तक जिंदा रह सकेंगे। दरअसल स्थितियों में बदलाव उस समय आया जब बीती रात आगर मशीन भी मलवा आने के कारण खराब हो गई और उसने काम करना बंद कर दिया। कल दिनभर चले प्रयासों के बाद किसी तरह हयूम पाइपों की ड्रिलिंग का काम देर रात शुरू तो हुआ लेकिन काम शुरू होते ही पहाड़ से सुरंग में और मलवा आने से आगर मशीन भी उसकी चपेट में आ गई जिसके कारण काम तो रुक ही गया इसके साथ ही मशीन के खराब होने से इस प्लान का खात्मा हो गया।
खास बात यह रही कि कंपनी प्रबंधन और रेस्क्यू में लगी टीमों ने इस सच को छिपाने की कोशिश की लेकिन आज सुबह जब इसकी जानकारी मौके पर मौजूद पीड़ित परिवार जनों और कर्मचारियों को हुई तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने कंपनी प्रबंधन और सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा किया तथा सुरक्षा के लिए बनाई गई बैरिकेटिंग को तोड़ दिया गया। उनका कहना है कि हादसे को आज 4 दिन हो चुके हैं लेकिन सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के नाम पर सिर्फ नाटक किया जा रहा है। उनका कहना है जो अंदर फंसे हैं अगर उन्हें जल्द बाहर नहीं निकाला गया तो कोई जिंदा नहीं बचेगा। पहले 2 दिन का समय मलवा हटाने में लगा दिया अब बीते 24 घंटे हयूम पाइप ड्रीलिंग के प्रयास में निकाल दिए लेकिन इन सभी कामों का कोई भी नतीजा नहीं रहा है। उनका यह भी आरोप है कि बचाव व राहत काम में लगी टीमों के बीच कोई तालमेल नहीं है। तथा मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं है। जो यह भी बता सके कि अब हो क्या रहा है पीड़ितों को न कोई जानकारी दी जा रही है न सरकार व कंपनी का कोई भी आधिकारिक जवाब मिल पा रहा है।
उल्लेखनीय है की 12 नवंबर की सुबह हुए इस हादसें को अब 80 घंटे का समय होने जा रहा है। सुरंग में फंसे 40 लोगों का जीवन संकट में है तथा यह संकट हर पल बढ़ता ही जा रहा है। बचाव राहत का प्लान ए और बी फ्लॉप हो चुका है। अब सी प्लान क्या है न तो इसकी कोई जानकारी है और न इस बात की प्लान सी पर क्या काम हो रहा है। फिलहाल बचाव राहत काम रुका हुआ है। जिसे लेकर कर्मचारी व पीड़ितों के परिजनों का आक्रोश भी वाजिब है तब क्या अब इन 40 लोगों को यूं ही मरने के लिए राम भरोसे छोड़ दिया गया है इसका जवाब कंपनी प्रबंधकों व सत्ता में बैठे लोगों को ही देना पड़ेगा।

पीएमओ का बड़ा फैसला : सेना करेगी बचाव राहत में मदद

  • सेना का माल वाहक विमान ड्रिलिंग मशीन लेकर चिन्यालीसौंण पहुंचा
  • देर रात तक फिर शुरू होगा काम
    नई दिल्ली/देहरादून। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने बड़ा फैसला लेते हुए अब सेना को मदद के काम में लगाया गया है। लागर मशीन के फेल हो जाने से रेस्क्यू अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सेना का एक विशेष माल वाहक विमान हैवी ड्रिलिंग मशीन लेकर चिन्यालीसौंण एयरपोर्ट पहुंच गया है जहां से अब इसे दुर्घटना स्थल पर ले जाया जा रहा है।
    मिली जानकारी के अनुसार आज देर शाम तक सेना की कर्मचारी इस मशीन से बचाव व राहत कार्य शुरू कर देंगे। सेना के इस बचाव राहत कार्य में शामिल होने से एक बार फिर इस बात की उम्मीद जगी है कि अगर यह हैवी ड्रिलिंग मशीन काम कर पाई तो सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बाहर लाने का काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा। केंद्र सरकार के इस प्रयास और सेना के पराक्रम पर ही अब इस अभियान की सफलता और असफलता आकर टिक गई है। अगर कोई बड़ी मुश्किल बीच में नहीं आई तो कल शाम तक इस अभियान के पूरे होने की संभावना जताई गई है। राज्य सरकार के अभियान में आई अड़चन के बाद केंद्र सरकार ने घटना की क्लोज मॉनिटरिंग के बाद इस अभियान में सेना को शामिल करने का फैसला लिया गया है।

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