कोरोना के तीसरी लहर का संभावित खतरा हमारे सर पर मंडरा रहा है जिसे लेकर न्यायपालिका से लेकर प्रधानमंत्री तक हमें हर रोज आगाह करा रहे है लेकिन हम न तो अपने अतीत से कोई सबक लेने को तैयार हैं और न किसी की कोई बात सुनने को। पहली लहर के बाद बरती गई लापरवाहियों के कारण देश और समाज में जिस असहनीय पीड़ा को झेला है उसका दर्द भुलाकर हम एक बार फिर पुरानी गलतियों को दोहराते दिख रहे हैं। हमने मान लिया है कि कोरोना खत्म हो गया है और अब हमें किसी तरह की सावधानी तथा सतर्कता की जरूरत नहीं है। दूसरी लहर के दौरान भीषण त्रासदी के बाद जैसे ही थोड़ी सी राहत मिली है तथा देश में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक गतिविधियां शुरू हुई है उसके साथ ही सड़कों और बाजारों से लेकर तमाम सार्वजनिक स्थलों पर भारी भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है स्वभाव के अनुकूल फिर तो किसी भी नियम कानून का पालन कराया जाना कितना मुश्किल होता है यह भी हम सभी जानते हैं और इन दिनों पूरे देश और प्रदेश से ऐसी ही तस्वीरें सामने आ रही हैं। न मास्क न कोई सामाजिक दूरी बस भीड़ ही भीड़। इन तस्वीरों पर जहां न्यायपालिका ने चिंता जाहिर की वहीं प्रधानमंत्री ने भी लोगों से अपील की है कि यह स्थिति बहुत डराने वाली है और इसके बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कल उत्तराखंड के सीएम ने भी सभी जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह कोविड गाइड लाइनों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराएं। उत्तराखंड सरकार को इस भीड़ के कारण ही जो पर्यटक स्थलों पर देखी जा रही है और इस भीड़ द्वारा जिस तरह नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, के कारण ही चारधाम यात्रा शुरू करने की अनुमति हाई कोर्ट द्वारा नहीं दी गई है। राज्य सरकार इसी कारण 25 जुलाई से शुरू होने वाली कावड़ यात्रा को अनुमति देने से भी हिचक रही है। लेकिन लोगों की लापरवाही अपने चरम पर है। राज्य के तमाम पर्यटक स्थलों पर वीकेंड पर भारी भीड़ उमड़ रही है। अभी नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा सरकार को कहा गया था कि वह वीकेंड पर पर्यटक स्थलों को खोलने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें। कोर्ट द्वारा बार—बार सरकार को चेतावनी दिए जाने के पीछे ठोस कारण है। कुंभ मेले के आयोजन में बरती गई लापरवाही का नतीजा हम देख चुके हैं। सच यह है कि हम एक समय में दो नावों की सवारी नहीं कर सकते हैं। कोरोना की चुनौती इतनी गंभीर है कि हमें एक कड़े और स्पष्ट फैसले लेने की जरूरत है। सरकार अगर यह चाहे की बाजार भी खुले और चार धाम यात्रा व कावड़ यात्रा भी संचालित हों तथा पर्यटन स्थल भी गुलजार हों और कोरोना केस भी फिर से न बढ़ने पाए यह संभव नहीं है। तीसरी लहर के अत्यंत घातक होने की बात कही जा रही है, के प्रभाव को कम करना है तो सतर्कता जरूरी है और बिना शत्तिQ के नियमों का पालन संभव नहीं है। अन्यथा हमें फिर एक बार गंभीर स्थितियों का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।