टूट गया भाजपा का अभिमान, जीत गया देश का किसान

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मोदी के फैसले पर विपक्ष की प्रतिक्रियाएं

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भले ही वह तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए देशवासियों से माफी मांगी हो और इस बात को भारी मन से स्वीकार किया हो कि वह किसानों के हितों के लिए बनाए गए कृषि कानूनों के बारे में उन्हें समझाने में असफल रहे जिन्हें किसान काले कानून बताते रहे हैं। लेकिन विपक्ष ने सरकार के इस निर्णय पर अपनी सीधी प्रतिक्रिया में इसे उत्तर प्रदेश में चुनावी हार का डर बताते हुए कहा है कि भाजपा का अभिमान टूट गया है और देश का अन्नदाता किसान जीत गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले को कांग्रेस ने किसानों के धैर्य संयम की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि यह भाजपा सरकार की हठधर्मिता की हार और लोकतंत्र की बड़ी जीत है। जिसका श्रेय उन किसानों को जाता है जिन्होंने एक साल तक धैर्य और संयम से अहिंसक आंदोलन चलाया। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने इस आंदोलन को दबाने और तोड़ने का हर हथकंडा अपनाया लेकिन वह जब नाकाम रही और पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में अपनी हार का भय सताने लगा तो उसके पास इन तीनों काले कानूनों को वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। कांग्रेस का यह भी कहना है कि जब सीबीआई और ईडी के अधिकारियों का कार्यकाल बढ़ाने की बात आती है तो सरकार संसद सत्र का इंतजार नहीं करती है और अध्यादेश लाकर उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया जाता है लेकिन जब कृषि कानूनों को रद्द करने की बारी आती है तो वह संसद सत्र में कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का सहारा लेती है। कांग्रेस का कहना है कि कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए भी सरकार अध्यादेश क्यों नहीं ला रही है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि जब तक संसद से यह तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते किसानों को आंदोलन समाप्त नहीं करना चाहिए।
किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत का भी यही कहना है कि वह अपना आंदोलन तभी समाप्त करेंगे जब संसद से तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए जाएंगे। यही नहीं उन्होंने तो एमएसपी गारंटी कानून लाने तक आंदोलन जारी रखने का दावा भी किया है। भले ही प्रधानमंत्री ने किसानों से खेतों में लौटने और नई शुरुआत करने की अपील की हो लेकिन किसान पूर्ण समस्या समाधान तक आंदोलन जारी रखने पर अड़े हुए हैं।
उधर ममता बनर्जी ने इसे किसानों और लोकतंत्र की बड़ी जीत बताते हुए किसानों को बधाई दी है और कहा है कि यह उनके धैर्य और लोकतंत्र की बड़ी जीत है और भाजपा की हार। मायावती का कहना है कि भाजपा ने अपनी जिद के कारण 700 से अधिक किसानों की जान ले ली सरकार चाहती तो वह बहुत पहले ही यह फैसला ले सकती थी। यह देर से लिया गया सही फैसला है। लोकतंत्र में जन भावनाओं से ऊपर कुछ नहीं होता।

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