प्रीतम ने कहा ऐतिहासिक थे फैसले तो उनकी ही सरकार ने क्यों बदले?
देहरादून। भले ही उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के अधिकांश फैसलों को पलट दिया हो या पुनर्विचार के नाम पर समितियों के झोले में डाल दिया गया हो लेकिन उनका मानना है कि उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए। त्रिवेंद्र रावत आज भी देवस्थानम बोर्ड के फैसले को सही ठहराते हुए दावा करते हैं कि अगर भरोसा नहीं है तो जनमत संग्रह करा कर देख लो।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने यह बात एक टीवी चैनल में डिबेट के दौरान कही गई। नेता विपक्ष प्रीतम सिंह ने जब भाजपा की वर्तमान सरकार की उपलब्धियों को शुन्य बताते हुए कहा कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री के फैसले ऐतिहासिक और सही फैसले थे तो फिर उनकी ही सरकार ने उनके फैसलों को क्यों पलट दिया? प्रीतम ने कहा कि क्या गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने का फैसला सही था अगर सही था तो इसे क्यों समिति के हवाले कर दिया गया। देवस्थानम बोर्ड का फैसला सही था तो क्यों उनकी ही सरकार ने इसे पलटा। इस पर त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने बेवजह इसे मुद्दा बनाया। अगर कांग्रेस के पास कोई रोड मैप है तो उसे सामने रखती।
त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस भाजपा का विकल्प नहीं है कांग्रेस का आंतरिक कलह और खींचतान ही कांग्रेस को हराने के लिए काफी है उन्होंने कहा कि भाजपा के पास धामी का युवा चेहरा है और अब की बार 60 पार का लक्ष्य है। जबकि कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा ही नहीं है।
प्रीतम सिंह ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा ने 2017 में जो वायदे जनता से किए थे उनमें से एक भी वायदा पूरा नहीं किया। आज प्रदेश में महंगाई, बेरोजगारी और पलायन की क्या स्थिति है क्या किसानों की आय दोगुना हो गई है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार ने 100 दिन में भी लोकायुक्त लाने का वायदा क्या पूरा किया। कहते हैं कि भ्रष्टाचार ही नहीं तो लोकायुक्त की क्या जरूरत। उन्होंने कहा कि कुंभ में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर जो हुआ क्या वह भ्रष्टाचार नहीं था?
नेता विपक्ष ने भाजपा सरकार पर कई ऐसे सवाल उठाए जिनका जवाब पूर्व सीएम देने से बचते दिखे।