टीएचडीसी की पूरी आय पर राज्य का अधिकार हो

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अभिनव थापर की जनहित याचिका पर अदालत ने सरकार से पक्ष रखने को कहा

नैनीताल/देहरादून। टिहरी बांध परियोजना जो पूर्णतया उत्तराखंड राज्य में है तथा उसके तमाम नुकसान व जोखिम राज्य को ही वहन करने होते हैं इसलिए टीएचडीसी से होने वाली आय पर उत्तराखंड सरकार का ही अधिकार होना चाहिए। हाईकोर्ट में इस आशय की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर अदालत ने चार सप्ताह में सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर जो मूल रुप से टिहरी के रहने वाले हैं, द्वारा हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड को इस परियोजना से सिर्फ उसकी कुल आय का 12 फीसदी ही मिलता है। बाकी 88 फीसदी उत्तर प्रदेश को चला जाता है या फिर केंद्र सरकार को जाता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस परियोजना को लेकर पर्यावरण से लेकर जमीन तक ही नहीं बल्कि आपदाओं तक का जोखिम अकेले उत्तराखंड व यहां के लोगों को उठाने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि 2012 की उत्तरकाशी आपदा और 2013 की केदारनाथ आपदा व वर्तमान में हुई आसमानी तबाही की त्रासदी राज्य व राज्य वासियों ने ही झेली है। उनका कहना है कि परियोजना के कारण लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा। वही विस्थापन पर 9900 करोड़ का खर्च हुआ उनका कहना है कि वर्ष 2020 में की टीएचडीसी ने 26000 करोड़ कमाए उनसे 7500 करोड़ रुपए की बिजली एनटीपीसी को बेचकर कमाए लेकिन राज्य को इसके बदले में क्या मिला? उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि जब यह परियोजना पूरी तरह उत्तराखंड में है तो फिर राज्य गठन से पूर्व की स्थिति के आधार पर उत्तर प्रदेश को इसका लाभ क्यों मिलते रहना चाहिए। उन्होंने राज्य की बेरोजगारी का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में बेरोजगारी दर 10.99 फीसदी है जबकि शिक्षित बेरोजगारी दर 17.4 प्रतिशत है। 2006 में राज्य सरकार ने उघोगों में 70 फीसदी स्थानीय लोगों के रोजगार का कानून बनाया गया था जिस पर अमल नहीं हो रहा है। याची के अधिवक्ता अभिनव नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वाली पीठ ने सरकार से इस पर 4 सप्ताह में अपना पक्ष रखने को कहा है।

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