कोरोना की तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों द्वारा बार—बार सतर्क किया जा रहा है। खतरा सिर्फ कोरोना के उस वैरीयंट ओमीक्रोन को लेकर ही नहीं है जिसे दूसरी लहर में मिले डेल्टा वैरीयंट से भी खतरनाक बताया जा रहा है बल्कि कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर भी है। देश के पांच राज्यों में कोरोना की संक्रमण दर का बढ़ना भी चिंताजनक है बीते कल देश में ओमीक्रोन के नौ नए केस मिलने की बात अब देश में ओमीक्रोनं मरीजों की संख्या 32 हो चुकी है। चिंता की बात यह है कि इनमें से एक मामला मुंबई की उस धारावी बस्ती से भी सामने आया है जहां दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए थे। यह साफ हो चुका है कि नए वेरियंट पर कोरोना का टीका भी प्रभावी नहीं है। जिन लोगों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी है उन्हें भी ओमीक्रोन अपनी गिरफ्त में ले रहा है। डॉक्टरों द्वारा भले ही यह कहा जा रहा है कि जिन लोगों को टीका लग चुका है उनकी जान को कोई जोखिम नहीं है लेकिन टीका लगने के बाद उन्हें ओमीक्रोन नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी देश के सिर्फ 50 फीसदी लोगों को ही कोरोना की दोनों खुराक मिल सकी है वही 86 फीसदी लोगों को ही पहली डोज दी जा सकी है 14 फीसदी लोगों को अभी तक एक डोज भी नहीं लगी है। ऐसे मे बूस्टर डोज की बात अभी नहीं की जा सकती है। उधर देश के पांच राज्यों में जिसमें तेलंगाना, उड़ीसा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मिजोरम शामिल है में फिर से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ना शुरू हो गई है। जो चिंता का विषय है। खास बात यह है की पहली लहर के बाद बरती गई लापरवाही के कारण देश के लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था इस लहर के दौरान कोरोना संक्रमित और उनके परिजनों ने किस—किस तरह की परिस्थितियों का सामना किया उसके उल्लेख की कोई जरूरत नहीं है लेकिन कोई व्यक्ति यह कदाचित भी नहीं चाहेगा कि उसके जीवन में वैसी स्थितियंा फिर से उपस्थित हो। लेकिन यह हैरान करने वाली बात ही है कि देश के लोग इसे लेकर एक बार फिर इतने लापरवाह हो चुके हैं कि वह मास्क तक का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ बीके पाल का कहना है कि लोगों ने मास्क का इस्तेमाल इतना कम कर दिया है कि वह सुरक्षा के नजरिए से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है जो न सिर्फ जोखिम पूर्ण है बल्कि अस्वीकार्य स्तर पर है। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि हम इस गंभीर खतरे से इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं। कहा तो यह भी जा रहा था कि अगर तीसरी लहर से बचना है तो हमें सावधानी बरतनी ही पड़ेगी अन्यथा खतरा उतना ही गंभीर अभी भी बना हुआ है। अगर हम अभी भी लापरवाह बने रहते हैं तो कोरोना की तीसरी लहर का आना तो तय है ही साथ ही इसके बड़े खतरे की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।