पूर्व की घटित आपदाओं से हमने कोई सबक़ नहीं लिया : किशोर उपाध्याय

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देहरादून। ऊधमसिंह नगर और नैनीताल का दौरा कर लौटे किशोर उपाध्याय ने कहा कि पूर्व की घटित आपदाओं से हमने कोई सबक़ नहीं लिया और यह आपदायें Climate Change और मानवीय भूल का परिणाम हैं।हताहतों का आँकड़ा लगातार बढ़ने पर उपाध्याय ने गम्भीर चिन्ता व्यक्त की और लचर आपदा प्रबन्धन पर गम्भीर चिंता व्यक्त की।अभी तक हम लोग मध्य हिमालय व राज्य की आवश्यकता के अनुरूप आपदा प्रबन्धन और न्यूनीकरण का अचूक सिस्टम विकसित नहीं कर पाये हैं।उपाध्याय ने कहा कि 9 नवम्बर को राज्य 21 साल का हो जायेगा और एक पूर्ण वयस्क हो चुके राज्य के लिये यह स्थिति त्रासद पूर्ण है।उपाध्याय ने कहा कि आपदा राहत मानक़ों में राज्य की आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।मृतकों के आश्रितों को लखीमपुर-खीरी में मारे गये किसानों के अनुरूप राहत राशि प्रदान की जानी चाहिये।ध्वस्त व ख़तरे की जद में आये मकानों की पूरी क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिये और उसी तरह बरबाद हो चुके सामान की भी पूरी क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिये।बह गयी ज़मीन का भी मुवावजा बाज़ार भाव से दिया जाना चाहिये।रामगढ़ विश्व ख्यात जगह है । इस देश के Who’s Who ख्यात-विख्यात लोगों के बंगले वहाँ हैं, लेकिन स्वास्थ्य सेवायें नदारद हैं।ऐसे स्थानों के लिये एक सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवाओं की जाल की आवश्यकता है।उपाध्याय ने कहा कि Climate Change आज विश्व के समक्ष बड़ी चुनौती है और उत्तराखंडियों को वनों पर उनके पुश्तैनी हक़-हक़ूक़ और अधिकार देकर राज्य में काफ़ी हद तक इसे रोका जा सकता है।विभिन्न बाँधों से बिना चेतावनी के पानी छोड़ने से भी जन-धन की हानि हुयी है।उपाध्याय ने कहा कि वे लम्बे समय से वनाधिकार क़ानून राज्य में लागू करने की माँग कर रहे हैं, ऐसा क़ानून बनाने से क्या फ़ायदा, जिसका लोगों को लाभ न मिल सके।उपाध्याय ने कहा कि वे मुख्यमंत्री जी को रामगढ़ की स्थिति से अवगत करायेंगे।उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंडियों उनके पुश्तैनी हक़-हक़ूकक़ों के रूप में :-1. परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी दी जाय।2. केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय।3.बिजली पानी व रसोई गैस निशुल्क दी जाय।4. जड़ी बूटियों पर स्थानीय समुदायों को अधिकार दिया जाय।5. जंगली जानवरों से जनहानि होने पर परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी तथा ₹50 लाख क्षति पूर्ति दी जाय।फसल की हानि पर प्रतिनाली ₹5000/- क्षतिपूर्ति दी जाय।6. एक यूनिट आवास निर्माण के लिये लकड़ी, रेत-बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाय।7. उत्तराखंडियों को OBC घोषित किया जाय।8. भू-क़ानून बनाया जाय, जिसमें वन व अन्य भूमि को भी शामिल जाय।9. राज्य में तुरन्त चकबंदी क़ी जाय।उपाध्याय ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उत्तराखंडी समय की आवश्यकता को समझेंगे और अपने हक़-हकूक़ों के लिये संकल्पबद्ध होंगे, जिससे भविष्य में उन्हें इन त्रासदियों का सामना न करना पड़े।

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