आईएफएस अधिकारियों पर एफआईआर की तैयारी

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सरकार ने दी हरी झंडी, भ्रष्टाचार पर एक और वार
बढ़ सकती है किशन चंद्र की मुसीबत, अन्य कई लपेटे में

देहरादून। भ्रष्टाचार, सरकारी धन के दुरुपयोग और अवैध निर्माण के जरिए आय से अधिक संपत्ति जुटाने के आरोपी आईएफएस अधिकारियों पर अब कानून का शिकंजा कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है। राज्य सरकार द्वारा अब इन अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति प्रदान की गई है।
निदेशक विजिलेंस अमित सिन्हा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार को मामले की जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद बीते 2 अगस्त को आरोपी आईएफएस किशन चंद्र सहित अन्य दो अधिकारियों और उनके कुछ सहयोगियों के खिलाफ जल्द ही हल्द्वानी विजिलेंस कार्यालय में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर की जाएगी।
यूं तो आईएफएस किशनचंद्र अपने कार्यकाल के दौरान अब तक कई बार विवादों में घिरे रहे हैं। लेकिन उनके खिलाफ कभी कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया है वर्तमान समय में उनके ऊपर जो गंभीर आरोप लगे हैं वह उनकी मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 105 हेक्टेयर में बनने वाले टाइगर सफारी कार्बेट के पखारु प्रोजेक्ट में व्यापक स्तर पर धांधली का मामला सामने आया था। निर्माण कार्यों में की गई धांधली और सरकारी धन के दुरुपयोग के इस मामले में मुख्यमंत्री द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे। विजिलेंस द्वारा इस मामले की जांच पूरी करने के बाद इस धांधली बाजी की पुष्टि करते हुए किशन चंद्र व अन्य दो आईएफएस सहित आधा दर्जन लोगों को उनके सहयोगियों के तौर पर सह अभियुक्त बनाया गया है। प्रारंभिक जांच में इन्हें दोषी मानते हुए सरकार को 2 अगस्त को इस मामले की रिपोर्ट सौंपी गई थी। सरकार ने भी इस मामले में बिना देरी किए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए गए हैं शासन से अनुमति मिलने के बाद अब हल्द्वानी में कभी भी एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि आईएएस यादव के जेल जाने के बाद राज्य में अधिकारियों के खिलाफ होने वाली यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है जब कुछ आईएफएस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर सरकार का काम जारी है। देखना है भर्ती घोटाले पर सरकार ऐसा ही सख्ती दिखाती है कि नहीं।

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