हड़ताल से पहाड़ पर हा—हाकार

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चालकों ने दी अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी

  • नए साल पर जश्न मनाने आए पर्यटक भी फंसे
  • टैक्सी स्टैंड पर यात्रियों का भारी जमावड़ा

देहरादून। केंद्र सरकार द्वारा हिट एंड रन पर देश में लाये गए नए कानून के विरोध में ट्रक ऑपरेटर और टैक्सी—मैक्सी तथा व्यावसायिक वाहन चालकों की तीन दिवसीय हड़ताल के कारण आम नागरिकों को जहां आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं पहाड़ की सामान सप्लाई लाइन बाधित होने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हड़ताल के दूसरे दिन आज हालात कल से भी ज्यादा खराब हो गए। राजधानी दून तथा ऋषिकेश—हरिद्वार से पहाड़ों के लिए चलने वाली टैक्सी मैक्सी सेवा के पूर्णतया बाधित होने के कारण टैक्सी स्टैंड पर यात्रियों की भारी भीड़ दिखाई दी। हालांकि रोडवेज की बसों का संचालन जारी है लेकिन यह अपर्याप्त है। वैसे भी पहाड़ पर लोगों का आवागमन अधिकांश टैक्सी—मैक्सी पर ही निर्भर करता है। राजधानी दून के रिस्पना पुल हरिद्वार रोड से 400 से अधिक टैक्सी मैक्सियों का संचालन होता है जो गढ़वाल मंडल के सात जिलों के लिए संचालित की जाती है और हर रोज यहां से लगभग 7—8 सौ लोग पहाड़ पर आते जाते हैं। ठीक उसी तरह पहाड़ के प्रवेश द्वार ऋषिकेश व हरिद्वार से भी बड़ी संख्या में टैक्सी मैक्सियों का संचालन होता है जो बीते कल से पूर्णतया ठप है। जिसके कारण यात्रियों की भारी भीड़ टैक्सी स्टैंड पर जमा है, लेकिन आने जाने का कोई साधन नहीं है। यात्रियों के रोडवेज की बसों पर ही निर्भर होने के कारण यहां भी भारी भीड़ और मारामारी की स्थिति पैदा हो गई है। अगर यह हड़ताल जो अभी तीन दिवसीय है अगर 3 दिन बाद भी जारी रहती है तो समस्या और भी अधिक गंभीर हो जाएगी क्योंकि चालकों को साफ कहना है कि उनकी मांग नहीं मानी तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल से भी पीछे नहीं हटेंगे।
ड्राइवरों की इस हड़ताल के कारण राज्य के सभी जिलों में हाहाकार मचा हुआ है नैनीताल, हल्द्वानी, कोटद्वार और उत्तरकाशी सहित तमाम जगह आज इन चालकों के द्वारा चक्का जाम के साथ—साथ विरोध प्रदर्शन भी किए गए हैं। इनका कहना है कि एक ड्राइवर को चार—पांच हजार रुपए वेतन मिलता है और ऐसी स्थिति में अगर उसके साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो वह एक्सीडेंट में 5 लाख जुर्माना कहां से भरेगा और 10 साल की सजा होने की स्थिति में तो उसका पूरा परिवार ही तबाह हो जाएगा। उनका कहना है कि कोई भी ड्राइवर जानबूझकर एक्सीडेंट नहीं करता है कभी ब्रेक फेल होने या कभी स्टेरिंग फ्री होने अथवा टायर आदि फटने के कारण भी दुर्घटनाएं होती है। अनेक तकनीकी कारण भी दुर्घटना का कारण होते हैं वही हमेशा बड़े वाहन ही दुर्घटना का कारण नहीं होते दूसरे लोगों की गलतियों से भी दुर्घटनाएं होती है इस तरह के कड़े कानून के साथ कोई ड्राइवर की नौकरी करने को तैयार नहीं हो सकता है। सरकार से उनकी मांग है कि इस काले कानून को वापस लिया जाए। जब तक यह कानून वापस नहीं लिए जाते हैं वह काम नहीं करेंगे।
खास बात यह है कि इस हड़ताल के कारण नए साल का जशन मनाने उत्तराखंड आए पर्यटक भी फंस गए हैं अब उन्हें वापस लौटने के लिए कोई साधन नहीं मिल पा रहा है। अपनी निजी गाड़ी से आने वाले लोग तो वापस जा रहे हैं लेकिन जो पर्यटक टैक्सी वाहनों पर आश्रित है वह अब स्वयं को मुसीबत में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं। चमोली उत्तरकाशी, कोटद्वार और हल्द्वानी में ऐसे पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा रही है। वही व्यावसायिक कार्य वाले वाहन भी बंद होने से पहाड़ों पर जरूरी सामान की आपूर्ति भी ठप हो गई है जिससे लोग परेशान हैं।

पहाड़ों पर जरूरी सामान न पहुंचने से कीमतों में आया उछाल


देहरादून। टैक्सी—मैक्सी व माल वाहक वाहनों के पहिए जाम होने से पहाड़ों पर जरूरी सामान की आपूर्ति भी बाधित हो गई है। जहां एक ओर पहाड़ में रसद नहीं पहुंच पा रही है वहीं पहाड़ से सब्जी और फल भी बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिसके कारण लोगों को नुकसान हो रहा है। पहाड़ों में सामान की कमी होने के कारण दुकानदार भी वस्तुओं की मनवानी कीमत वसूल रहे हैं। अगर यह हड़ताल तीन दिन आगे भी जारी रहती है तो यह समस्या कितनी गंभीर हो जाएगी इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है।

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