नमाज के बाद पत्थरबाजी इस्लाम को बदनाम करने का षड्यंत्रः इमरान

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इबादतगाहों को सियासतगाह न बनने दे
कुवैत से प्रदर्शनकारियों का होगा देश निकाला

देहरादून। जुमे की नमाज के बाद हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी करने वालों की खबर अब इस्लाम को मानने और जानने वालों द्वारा ली जा रही है। उनके द्वारा इसे न सिर्फ इस्लाम को बदनाम करने की साजिश बताया जा रहा है बल्कि मुल्क में अराजकता फैलाने का षड्यंत्र करार दिया जा रहा है।
9 बार के एमपी रहे स्व. रशीद मसूद के पुत्र इमरान मसूद का कहना है कि नमाज के बाद पत्थरबाजी इस्लाम नहीं सिखाता है। नमाज में देश व समाज के अमन चैन व तरक्की की दुआ हम करते हैं। नमाज के बाद हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी इस्लाम को बदनाम करने का षड्यंत्र है। इससे पूर्व जमीयत उलमा—ए—हिंद के अध्यक्ष सुहेब काजमी पहले ही जुमे की नमाज के बाद देशभर में हुई इन हिंसक घटनाओं को साजिश बताते हुए यह कह चुके हैं कि नादान बच्चों के हाथ में पत्थर थमाने वालों को यह समझने की जरूरत है कि वह इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि नूपुर शर्मा ने जब माफी मांग ली तो उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि ओवैसी जैसे लोग अपने स्वार्थों के लिए युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। सोहेल काजमी के बाद सहारनपुर के मुस्लिम नेता इमरान मसूद का कहना है कि हम इस तरह की घटनाओं से दुनिया को क्या संदेश देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मंगलवार, बुधवार, वीरवार और फिर पत्थरवार इस तरह कि जो इमेज हम बना रहे हैं क्या वह ठीक है? उनका कहना है कि मैं उन तमाम युवाओं के मां—बाप से अपील करता हूं कि सोशल मीडिया पर इस्लाम के बारे में उन्हें जो पढ़ाया और समझाया जा रहा है वह ठीक नहीं है उनका कहना है कि इबादत गाहोंं को इबादतगाह ही रहने दो उन्हें सियासतगाह न बनाओ। साथ ही उन्होंने कहा कि वह बुलडोजर वाली कार्रवाई के भी खिलाफ है जिन्होंने गलत किया है उन्हें कानून सजा दे लेकिन निर्दाेष लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 3 जून को कानपुर में जुमे की नमाज के बाद शुरू हुआ यह सिलसिला अभी लगातार जारी है बीते जुमे को उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों में व्यापक स्तर पर जुमे की नमाज के बाद सुनियोजित तरीके से रचे गए षड्यंत्र के तहत हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी की गयी।
खास बात यह है कि देशभर में शाही इमाम सहित तमाम उलेमा और शहर काजियो ने इन घटनाओं को गलत ठहराते हुए इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया गया है। विदेशों तक में इस घटना की उतनी ही तीखी प्रतिक्रिया हुई है जितनी नूपुर शर्मा के बयान के बाद हुई थी। कुवैत सरकार ने तो जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन करने वाले प्रवासियों को देश से निकालने यानी उन्हें उनके देश भेज देने और फिर कभी वापस न आने देने तक के आदेश जारी कर दिए गए हैं। कुवैत सरकार का साफ कहना है कि इस तरह प्रदर्शन कुवैत में प्रतिबंधित है। यही नहीं अब सवालों के घेरे में घिरे ओवैसी जैसे नेता भी घटना से पल्ला झाड़ते हुए कह रहे हैं कि इन घटनाओं से उनका या उनकी पार्टी का कुछ लेना देना नहीं है।

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