न दो गज की दूरी, न मास्क है जरूरी!

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देहरादून। बाजार और सार्वजनिक स्थानों पर उमड़ रही भीड़ को देख कर प्रतीत होता है कि लोग कोविड काल के उन हृदयविदारक दिनों को भूल चुके हैं जब दिन—रात हर ओर एंबुलेंस के सायरन और अस्पतालों में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों पर विलाप की आवाज सुनाई देती थी। रोजाना होने वाली मौतों ने उस समय लोगों को दहला कर रख दिया था लेकिन अब लोग उस दौर को भूल चुके हैं और तीसरी लहर की चेतावनी के बावजूद सार्वजनिक स्थानों पर कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए घूम रहे हैं।
कोविड—19 की दूसरी लहर पहली लहर से खतरनाक रही और बहुत से लोगों ने महामारी के इस दौर में अपने प्रियजनों को भी खोया। अपने करीबियों या दूर की रिश्तेदारी, आसपड़ोस में कोरेना संक्रमण से लोगों के जान गंवाने की खबरों से लोग बदहवास हो गये थे। दूसरी लहर में लोगों ने अपने जवान बच्चों को खोया लेकिन कुछ समय के दुख के बाद अब सब लोग उस बुरे दौर को भूल कर आगे बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही वे यह भी भूल गये हैं कि तीसरी लहर की चेतावनी भी विशेषज्ञों द्वारा दी गई है।
इस समय यूरोप में संक्रमण बढ़ने के समाचार अखबारों की सुर्खियां बनने लगे हैं लेकिन फिर भी लोग बेपरवाह नजर आ रहे हैं। त्योहारों का समय है तो बाजार में भीड़ भी जबरदस्त तरीके से उमड़ रही है। दो गज की दूरी के पालन की बात तो छोड़ों लोगों ने अब मास्क और सेनिटाइजर का प्रयोग करना भी छोड़ दिया है। दून के बाजारों में उमड़ रही भीड़ को देख कर ऐसा लगता है कि इन्हें संक्रमण की कोई परवाह ही नहीं है। सरकार, शासन और प्रशासन द्वारा लोगों से लगातार अपील की जा रही है कि कोविड नियमों का पालन जरूर करें लेकिन लोगों को लगता है अब वैक्सीन लगाई जा चुकी है तो उनको कोई खतरा नहीं है फिर चाहे वे मास्क लगाएं या न लगाएं। सार्वजनिक स्थानों पर दो गज की दूरी का पालन करें या न करें। जबकि हर स्तर पर सरकार, चिकित्सक भी कह रहे हैं कि वैक्सीनेशन से बचाव है लेकिन इसके साथ ही मास्क, सेनिटाइजर और सामाजिक दूरी का पालन करना भी उतना ही जरूरी है।
यह सब सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि घर में रहने वाले छोटे बच्चों के बचाव के लिए जरूरी है। यदि लोग कोविड नियमों का पालन करेंगे तो वे घर पर रहने वाले अपने बच्चों को भी इस महामारी के चपेट में आने से रोक सकेंगे। इस त्योहारी सीजन में खरीदारी और मौज—मस्ती के साथ ही साथ कोविड नियमों का पालन भी जरूरी है ताकि महामारी की तीसरी संभावित लहर को संभावित ही रहने में समाज का हर व्यक्ति अपना योगदार दे सके।

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