मुसीबत बने स्मार्ट सिटी कार्य

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के लोग बीते दो—तीन सालों से भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। राजधानी दून को जब स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया था तब लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा था उन्हें ऐसा लगा था कि स्मार्ट सिटी की सूची में आ चुके देहरादून को अब ए क्लास सिटी बनने में देर नहीं लगेगी। लेकिन स्मार्ट सिटी बनाने के लिए किए जाने वाले कामों के कारण उन्हें इस तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ेगी की सड़कों पर चलना भी मुश्किल हो जाएगा और उनके काम धंधे सब कुछ चौपट हो जाएगा, इसका उन्हें रत्ती भर भी अनुमान नहीं था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि निर्माण कार्याे के कारण अव्यवस्था फैलती है लेकिन अगर काम सुनियोजित प्लान और तरीके से किया जाए तो इन अव्यवस्थाओं को कम जरूर किया जा सकता है। लेकिन राजधानी दून में स्मार्ट सिटी के काम नियोजित ढंग से नहीं किए जाने के कारण यह लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन चुके हैं। एक काम के लिए बार—बार सड़कों को खोदा जा रहा है क्योंकि काम ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। खास बात यह है कि इन सड़कों को बार—बार खोदा तो जा रहा है लेकिन इसके बाद इसकी मरम्मत का काम या तो किया ही नहीं जा रहा है या किया जा रहा है तो सिर्फ खानापूर्ति के रूप में ही किया जा रहा है। राजधानी दून की जिन 60 फीसदी सड़कों पर स्मार्ट सिटी के काम किए गए हैं उनमें से आज एक भी सड़क ऐसी नहीं बची है जिस पर पहले की तरह सुगम तरीके से यातायात संचालित हो सके। पूरा शहर धूल से अटा पड़ा है तथा सड़कें गहरे गहरे गड्ढों में भरी पड़ी हैं। कई स्थानों पर इन सड़कों की खुदाई से आस—पास की इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है। एक अन्य बात यह है कि बार—बार किए जाने वाले इन कामों को लेकर लोगों की समस्याएं तो बढ़ ही रही है साथ ही इन कामों को निश्चित अवधि में पूरा नहीं किया जा रहा है, समय अधिक लगने के साथ—साथ इन कामों पर होने वाले खर्च भी बढ़ते जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी का काम जिन निर्माण कंपनियों द्वारा किया जा रहा है उनकी मनमानी के कारण तमाम तरह की समस्याएं पैदा हो रही है। बीते कल जिला अधिकारी आरके राजेश कुमार के आदेश पर कंपनियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए हैं और उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। खुद जिलाधिकारी जिन कामों का बीते कई दिनों से निरीक्षण कर रहे थे तथा कई बार इन कंपनियों को काम खत्म करने की समय सीमा तय कर चुके थे लेकिन इन कंपनियों के अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। वहीं दूसरी तरफ पलटन बाजार के व्यापारी तो इन हालातों से तंग आकर अब आंदोलन करने पर उतर चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। यह हो सकता है कि साल दो साल में यह निर्माण कार्य पूरे हो जाए और इनसे व्यवस्थाओं में सुधार देखने को मिले लेकिन फिलहाल तो स्मार्ट सिटी के इन कामों ने शहर की सूरत को ऐसा बदरंग कर रखा है कि अब लोग इससे निजात पाना चाहते हैं।

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