एमडीडीए में फर्जी पत्रकारों का बोलबाला

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अवैध निर्माण को वैध व वैध को अवैध बनाने का धंधा जारी

देहरादून। राजधानी दून में इन दिनों कई बंटी—बबली, सल्लू—सलमान और गुड्डू—शुड्डू जैसे तथाकथित पत्रकारों के ग्रुप सक्रिय है जो दलाली के धंधे में जुटे हैं। पत्रकारिता की आड़ में दलाली का धंधा करने वाले इन लोगों ने जहां सूबे के अधिकारियों में अपनी अच्छी पैठ बना रखी है वहीं कुछ नामी—गिरामी पत्रकारों की चाटुकारिता के जरिए अपना दबदबा बना रखा है। खास बात यह है कि इनका जाल कई सरकारी विभागों तक फैला हुआ है जहां यह किसी का भी मुश्किल से मुश्किल काम चुटकी बजाते ही करा सकते हैं और किसी काम में आसानी से अड़ंगा भी अटका सकते हैं।
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद काम की तलाश में देश के कई राज्यों से तमाम लोग उत्तराखंड आए थे। जिनमें से कुछ लोगों ने अपनी शिक्षा और काबिलियत के दम पर स्वयं को स्थापित कर लिया और कुछ लोगों ने पहाड़ के पत्रकारों की जी हजूरी कर अपनी जमीन तैयार कर ली। पत्रकारिता की आड़ में इन तथाकथित पत्रकारों ने कुछ सरकारी विभागों व अधिकारियों में अपनी पैठ बनाई और बस यहां से उनका दलाली का धंधा भी चल पड़ा। बात चाहे आरटीओ के किसी काम की हो या फिर डीएसओ और नगर निगम के काम की, अथवा एमडीडीए के काम की हो या फिर पीडब्ल्यूडी के काम की। ठेके दिलवाने से लेकर लाइसेंस बनवाने और भवनों के नक्शे पास कराने तक के सभी कामों में इनका दखल संभव है।
राजधानी दून में क्योंकि नव निर्माण के काम सबसे अधिक तेजी से हुए हैं इसलिए इनका फोकस सबसे अधिक पीडब्ल्यूडी और एमडीडीए पर ही रहा। कहंा क्या बन रहा है? क्या वैध निर्माण है और क्या अवैध इन्हें सारी जानकारी संबंधित विभागों से ही हो जाती है और वह काम पर लग जाते हैं। वैध को अवैध साबित कराना और अवैध को भी वैध साबित कराने के नाम पर इनके द्वारा मोेटी वसूली की जाती है। खास बात यह है कि इन तथाकथित पत्रकारों के पास आय का अन्य कोई जरिया नहीं है लेकिन दलाली के हुनर के दम पर इन्हें ऐश मौज—मस्ती करते देखा जा सकता है। शासन—प्रशासन और मीडिया में अपने रिश्तों और मजबूत पकड़ के कारण इनके खिलाफ कोई इन पर शक नहीं करता है। किसी कार्यवाही की बात तो दूर रही। अगर आप दून में रह रहे है या कुछ कर रहे हैं आपको इनसे सतर्क रहने की जरूरत है।

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