मतदाताओं ने निभाई जिम्मेदारी

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उत्तराखंड की जनता पांचवीं विधानसभा के गठन के लिए मतदान के जरिए अपनी अभिव्यक्ति का काम पूरा कर चुकी है। 632 प्रत्याशियों में से कौन से 70 भाग्यशाली होंगे जो 2022 की इस नई विधानसभा के सदस्य होंगे इसका पता आगामी 10 मार्च को ही चल सकेगा। मतगणना से पूर्व तो सभी दल और नेता अपनी—अपनी जीत का दावा करते ही हैं। वर्तमान विधानसभा चुनाव में जनता ने किन मुद्दों को प्राथमिकता दी है परिणाम भी उस पर ही आधारित होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में जनता ने एक बंपर बहुमत भाजपा को देकर 70 में से 57 सीट पर जीत के साथ सत्ता में आने का अवसर दिया था लेकिन बंपर बहुमत वाली इस भाजपा ने जनता की अपेक्षानुरूप काम नहीं किया जिसके कारण उसे ऐन चुनाव से पूर्व बार—बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े और नरेंद्र मोदी के चेहरे और केंद्रीय योजनाओं के सहारे चुनाव मैदान में उतरना पड़ा। अगर वर्तमान चुनाव में जनता ने राज्य सरकार के काम पर वोट किया है तो भाजपा का सत्ता से बाहर हो जाना तय है और अगर 2017 की तरह उसने मोदी के नाम और केंद्र सरकार के काम पर वोट किया है तो उसे सत्ता में आने से कोई नहीं रोक पाएगा। ठीक वैसे ही अगर जनता ने राज्य सरकार के काम और बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वोट किया है तो कांग्रेस का पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आना तय है। चुनावी मुद्दों का सीधा गणित तो यही है। लेकिन इस गणित के अन्य कई ऐसे फैक्टर भी हैं जो चुनाव परिणाम को चौंकाने वाला बना सकते हैं। इसमें सबसे अधिक प्रभावी पहलू है आम आदमी पार्टी की दस्तक। राज्य के लोगों के सामने आप ने एक तीसरा मजबूत विकल्प पेश किया है भले ही चुनाव पूर्व के अनुमान यही हैं कि उसे कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है लेकिन उसकी सभी 70 सीटों पर उपस्थिति और उसके प्रत्याशियों को मिलने वाला समर्थन अनेक सीटों पर चुनाव परिणाम में परिवर्तनकारी सिद्ध होंगे इसकी संभावना से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता है यही कारण है कि इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आशंकित हैं आप की उपस्थिति किस पर भारी पड़ेगी इसका पता भी 10 मार्च को ही चल सकेगा। वर्तमान चुनाव का एक अन्य तीसरा और अहम पहलू है चुनाव से पूर्व हुए दलबदल और टिकटों का बंटवारा, जिसे लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल असहज रहे हैं। बगावत और भितरघात 2022 के इस चुनाव में क्या गुल खिलाएगी? इसे लेकर भी प्रमुख प्रतिद्वंदी दल भाजपा व कांग्रेस दोनों ही डरे सहमे हैं इस फैक्ट्रर को लेकर भाजपा सर्वाधिक प्रभावित हो सकती है क्योंकि उसके आठ बागी प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव मैदान में थे जो भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। जहां तक 2022 के लिए हुए इस मतदान के प्रतिशत की बात है तो उसे औसत मतदान ही कहा जा सकता है जो विगत 2 विधानसभा चुनाव के जैसा ही है लेकिन मतदाताओं का उत्साह जरूर अलग हटकर रहा है यह उत्साह सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में था या परिवर्तन की उम्मीद का था इस बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है लेकिन वर्तमान चुनाव में कांटे की टक्कर रही और चुनाव परिणाम भी धड़कने बढ़ाने वाले या चांैकानेवाले रह सकते हैं इसमें कोई दो राय नहीं है। संतोषजनक यह है कि चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। जीत हार किसकी होगी इसके लिए अब दिल थाम कर 10 मार्च तक इंतजार कीजिए।

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