किशोर उपाध्याय ने किया `उत्तराखंड माँगे भू-क़ानून’ आन्दोलन का समर्थन

0
492

देहरादून। वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक-प्रणेता और सूबे के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने `उत्तराखंड माँगे भू-क़ानून’ आन्दोलन का समर्थन किया है।
उपाध्याय ने धरने पर बैठे आन्दोलनरत सभी साथियों का अभिवादन करते हुये अपने समर्थन पत्र में कहा है कि मैं आन्दोलन का मन-वचन-कर्म से समर्थन करता हूँ।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन का एक अदना कार्यकर्त्ता होने के नाते मेरा मानना है कि राज्य का भू-क़ानून न होने से राज्य आत्मा विहीन हो गया है और राज्य की अवधारणा ही तिरोहित हो गयी है, लेकिन मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि हमें राज्य की शत-प्रतिशत ज़मीन की बात करनी चाहिये, अभी हम मात्र 3% भूमि की बात कर रहे हैं।
मैं तो यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि हमें अपने जल और जंगल को भी इसमें जोड़ना चाहिये और वन क़ानूनों-वन्य प्राणी क़ानूनों, पर्यावरण क़ानूनों की जन हित के आलोक में समीक्षा भी करनी चाहिये।
हमें जल-जंगल और ज़मीन पर अपने पुश्तैनी अधिकारों और हक़-हकूकों की बात भी करनी चाहिये और वनाधिकार क़ानून-2006 लागू करने की माँग करनी चाहिये।हमारे हक़-हकूकों की क्षतिपूर्ति के रूप में :- परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी, केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण , बिजली पानी व रसोई गैस निशुल्क , जड़ी बूटियों पर स्थानीय समुदायों को अधिकार, जंगली जानवरों से जनहानि होने पर परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी तथा ₹ 50 लाख क्षति पूर्ति, फसल की हानि पर प्रतिनाली ₹ 5000- क्षतिपूर्ति, एक यूनिट आवास निर्माण के लिये लकड़ी, रेत-बजरी व पत्थर निशुल्क, शिक्षा व चिकित्सा निशुल्क, उत्तराखंडी OBC घोषित हों, भू-क़ानून बने, जिसमें वन व अन्य भूमि को भी शामिल जाय और राज्य में तुरन्त चकबंदी हो।
मण्डल कमीशन के 27% आरक्षण के सभी मानक़ों पर उत्तराखंड खरा उतरता है और हमें केंद्र सरकार की आरक्षण की परिधि में शामिल किया जाना चाहिये।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here