फिल्म पुष्पा की तर्ज पर प्रतिबन्धित लकड़ी तस्करी करते दो गिरफ्तार

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उत्तरकाशी/देहरादून। फिल्म पुष्पा के अंदाज में हिमालयी क्षेत्रों की दुर्लभ वन संपदा काजल की लकड़ी को तस्करी करते हुये पुलिस ने आज सुबह दो लोगोंं को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी एक बैरियर तोड़ कर भाग निकले थे जिन्हे दूसरे बैरियर पर दबोचा गया है।
जानकारी के अनुसार आज सुबह कोतवाली उत्तरकाशी व थाना मनेरी पुलिस को सूचना मिली कि क्षेत्र में लकड़ी तस्कर सक्रिय है तथा वह तथा वह प्रतिबन्धित लकड़ी काजल की तस्करी करने हेतू आने वाले है। सूचना पर कार्यवाही करते हुए पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा क्षेत्र में चैकिंग अभियान चला दिया। इस दौरान पुलिस कोे वन विभाग बैरियर देवीधार पर एक संदिग्ध वाहन आता हुआ दिखायी दिया। पुलिस ने जब उसे रोक कर चैकिंग किया गया तोे उसमें बैठे दो तस्करों को जिनके नाम शरत सिंह निवासी पौड़ी व पेमा निवासी नेपाल बताये जा रहे है, प्रतिबन्धित काजल—काठ की 318 नग लकड़ी सहित गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ में उन्होने बताया कि वह भटवाड़ी के सिल्ला क्षेत्र से इस प्रतिबन्धित लकड़ी को उत्तर—प्रदेश, सहारनपुर ले जा रहे थे, लेकिन पुलिस की सतर्कता ने इनको नाकाम कर दिया।
पुलिस के अनुसार गिरफ्तार तस्कर गंगोरी बैरियर पर तैनात पुलिस जवानों द्वारा वाहन को रोकने पर बैरियर को टक्कर मारकर भाग निकले थे। जिस पर पुलिस ने उन्हे वन विभाग बैरियर देवीधार पर दबोच लिया गया। जिन्हे वन विभाग की सुपुर्दगी में दे दिया गया है। बरामद लकड़ी की कीमत 32 लाख रूपये आंकी गयी है।

काजल की लकड़ी का होता है औषधीय दृष्टिकोण से इस्तेमाल
उत्तरकाशी। पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी द्वारा बताया गया कि काजल की लकड़ी उच्च हिमालय के आरक्षित वन क्षेत्र में पाई जाती है। काजल औषधीय दृष्टिकोण से सर्वाेत्तम मानी जाती है। बौद्ध सम्प्रदाय के लोग इसके बर्तन (बाउल) बनाकर खाघ एवं पेय पदार्थों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारत, चीन, तिब्बत, नेपाल आदि देशों में इस लकड़ी की तस्करी कर उच्च कीमतों पर बेचा जाता है।

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