तिरंगा राजनीति का मुद्दा नहीं

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क्या इस देश के नेताओं को कोई यह समझा सकता है कि राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) कोई राजनीति का मुद्दा या विषय नहीं है। यह हैरान करने वाली बात है कि बीते कुछ सालों में राष्ट्रभक्ति पर भी राजनीति हो रही है और अब यह राजनीति तिरंगे तक जा पहुंची है। जिस देश की आत्मा राष्ट्र और तिरंगे में बसती हो और जिस देश का शासन—प्रशासन संविधान से सांसे लेता हो वहां इन मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन आज देश के नेताओं में इस बात की होड़ लगी हुई है कि वह एक दूसरे को राष्ट्र विरोधी और स्वयं को राष्ट्रभक्त साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं अगर ऐसा नहीं होता तो आज इस राजनीति के केंद्र में तिरंगा नहीं आया होता। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। भाजपा द्वारा इन दिनों पूरे देश में हर घर तिरंगा फहराने का अभियान चलाया जा रहा है। 13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर मुफ्त तिरंगा पहुंचाने के लिए भाजपा द्वारा अभियान जारी है। केंद्र सरकार ने आज लाल किले से एक तिरंगा यात्रा का आयोजन किया। लेकिन इस तिरंगा यात्रा में विपक्ष का कोई एमपी या एमएलए शामिल नहीं हुआ। भाजपा ने इसे लेकर सवाल उठाना शुरू कर दिया इसे लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने पहले राष्ट्रपति का अपमान किया और ऐसा करके तिरंगे का अपमान किया है कांग्रेस का कहना है कि यह भाजपा का कार्यक्रम था वह अपनी तिरंगा यात्रा अलग निकालेंगे। राहुल गांधी ने ट्वीट कर इस विवाद पर कहा है कि तिरंगा देश की आन—बान और शान है तिरंगा हर भारतीय की दिल में रहता है। उन्होंने अपनी डीपी पर भी जवाहरलाल नेहरू की तिरंगे के साथ फोटो लगाई है। अभी 2 दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी डीपी पर तिरंगे की फोटो लगाते हुए सभी नेताओं से अनुरोध किया था कि वह भी अपनी डीपी पर तिरंगा लगाएं। तिरंगा किसी भाजपा या कांग्रेस का तिरंगा नहीं है तिरंगा इस देश का तिरंगा है। इस तिरंगे की आन—बान और शान पर हजारों हजार देशवासियों ने अपनी जान हंसते—हंसते कुर्बान की है। इस देश का स्वतंत्रता संग्राम जिन्होंने लड़ा उनसे पूछ कर देखो कि उनके लिए तिरंगा क्या है इस तिरंगे के लिए पूरे देश ने कुर्बानियां दी है। आज जो नेता तेरा मेरा तिरंगा का राग अलाप रहे हैं उनमें से किसी को भी इसका अधिकार नहीं है और न ही उनमें से किसी एक का यह तिरंगा है यह देश का तिरंगा है और नेताओं से निवेदन है कि इसे देश का ही तिरंगा रहने दे राष्ट्रभक्ति और तिरंगे के नाम पर छद्म राजनीति से बाज आएं तथा राष्ट्रीय एकता की आड़ में विभाजन की सीमाएं खींच कर देश को शर्मिंदा न करें। राजनीति के लिए उनके पास और भी बहुत सारे मुद्दे हैं उन पर खूब कुर्ता घसीटन कर देश की एकता और अखंडता को अक्षुण बनाए रखें।

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