कमर तोड़ महंगाई

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आम तौर पर देश के गरीब लोगों से आपने सुना होगा ट्टदाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ, लेकिन आज बढ़ती महंगाई के दौर में इन गरीब लोगों के लिए दाल रोटी का जुगाड़ भी आसान नहीं रह गया है। इस साल देश में गेहूं का उत्पादन काफी कम हुआ और सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए जो एमएसपी तय की थी उससे ज्यादा कीमत पर गेहूं मंडियों में खरीदा गया नतीजतन सरकारी खरीद में भारी कमी रही। सरकार ने इस संकट को भंापते हुए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई। लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया क्योंकि निर्यातकों ने गेहूं की जगह आटे का निर्यात शुरू कर दिया। यही कारण है कि आटे की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से भारी इजाफा देखा जा रहा है, गेहूं के बाद अब चावल की कीमतें भी 10 फीसदी बढ़ चुकी हैं। अभी धान की फसल आने में काफी समय है इसलिए यह तय है कि आटे और गेहूं के बाद चावल की कीमतें भी अभी ऊपर जाएगी। आने वाली फसल के भी अच्छे रहने का अनुमान नहीं है। देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ से धान की फसलों का भारी नुकसान हुआ है। देश में दाल और सब्जियों के दाम भी इन दिनों रिकॉर्ड स्तर पर है। दाल 90 से 110 रूपये प्रति किलो के बीच है वहीं इस साल आलू और प्याज जैसी सब्जियों के भाव सीजन में भी नीचे नहीं उतरे और अभी अपने उच्च स्तर पर बने हुए हैं। इन दिनों टमाटर के भाव 70 से 80 रूपये प्रति किलो तक है जबकि आलू 25 से 35 रुपए किलो के बीच है और प्याज 25 से 30 रूपये पर है। जहां तक बात रसोई गैस सिलेंडर की हो तो वह भी अब तक के अपने उच्चतम स्तर पर है। 14 किलोग्राम वाला रसोई सिलेंडर एक हजार से अधिक है पेट्रोल—डीजल की कीमतों में भले ही केंद्र सरकार द्वारा टैक्स में भारी कटौती कर आम आदमी को राहत देने का प्रयास किए गए हो लेकिन अभी भी देश में पेट्रोल 100 के आसपास और डीजल 90 के आसपास है। जिसके और नीचे आने की अभी सौ—सौ कोेस दूर तक संभावनाएं नहीं दिख रही हैं। बीते समय में आरबीआई द्वारा बहुत थोड़े समय में दो बार रेपो रेट में वृद्धि की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड स्तर पर नीचे पहुंच चुकी है और वह 80 रूपये डालर के आसपास है। नई नीतियों के कारण ऋण पर ब्याज दर में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है और लोगों को अपने बैंक ऋण पर अब अधिक ईएमआई चुकानी पड़ रही है। रिजर्व बैंक के गवर्नर भी यह कह चुके हैं कि तमाम प्रयासों के बाद भी बढ़ती महंगाई को रोक पाना संभव नहीं रहा है तथा दिसंबर से पहले महंगाई दर में कमी आने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस बढ़ती महंगाई के कारण आम और गरीब आदमी का जीवन दिनोंदिन और अधिक मुश्किल होता जा रहा है उसकी बचत निरंतर कम होती जा रही है। अपने अच्छे दिनों की आस लगाए बैठे आम आदमी के अच्छे दिन कभी आएंगे भी इसे लेकर उनकी निराशा बढ़ती ही जा रही है जबकि भविष्य की संभावनाएं भी धूमिल दिख रही हैं।

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