लोकसभा चुनाव 2024 में युवाओं को विपक्ष की ओर आकर्षित करने वाले बेरोजगारी और पेपर लीक के जिस मुद्दे ने सत्ता पक्ष की चूलें हिला कर रख दी वह मुद्दा अभी देश की राजनीति पर हावी है। अभी सरकार गठन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है कि नीट पेपर लीक मामले ने देश भर में तहलका मचा दिया। देश भर में इस मुद्दे को लेकर युवाओं में जिस तरह का आक्रोश देखा जा रहा है और नेता विपक्ष की भूमिका में आए राहुल गांधी इस परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों से सीधा संवाद कर उन्हें इस बात का भरोसा दिला रहे हैं कि वह इस मामले को संसद में उठाएंगे तथा छात्रों को न्याय दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे उससे सरकार स्वयं को संकट में फंसा हुआ महसूस कर रही है क्योंकि अब राहुल गांधी की आवाज को दबाने या अनसुना करने की ताकत सरकार के पास नहीं रही है। संसद में उनके किसी सवाल को न सुना जाए या उसका जवाब न दिया जाए या उनके भाषण से एक शब्द भी हटा दिया जाए ऐसा संभव नहीं है वह समय अब पीछे छूट चुका है। सरकार को विपक्ष की बात सुननी तो पड़ेगी ही साथ ही जवाब भी देना पड़ेगा। राहुल गांधी के तेवरों को देखकर सरकार को इस मुद्दे पर हाई पावर मीटिंग बुलानी पड़ी है। बीते 10 सालों में हर जवाबदेही से सरकार बचती रही है वैसा अब आगे नहीं चल सकता है। अगर कहीं कुछ गलत हुआ है तो क्यों हुआ है और उसके लिए कौन जिम्मेदार है तथा उस पर क्या कार्रवाई की गई सरकार को सब कुछ बताना होगा। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जिस तरह से इस मामले में एनजीटी को क्लीन चिट दे चुके हैं उससे उन्हें अब न्यायालय को इसका भी जवाब देना पड़ेगा जिसमें खुद एनजीटी द्वारा अपनी गलती को स्वीकार किया गया है तथा विपक्ष को भी सदन में बताना पड़ेगा कि उन्होंने किस आधार पर एनजीटी को क्लीन चिट दी गई। 10 साल में किसी मंत्री ने न तो किसी मामले में अपनी गलती स्वीकार की हो न ही उसे पद से हटाया गया हो ऐसे में अगर नई सरकार का पहला सत्र शुरू होने से पहले या सत्र के दौरान धर्मेंद्र प्रधान को हटाना पड़ता है तो यह बहुत बड़ी बात ही नहीं होगी अपितु बहुत अच्छी शुरुआत और बात होगी। खास बात यह है कि इस मामले में संघ भी सरकार के खिलाफ जाकर विपक्ष के साथ खड़ा हो गया है। संघ का साफ कहना है कि युवाओं के भविष्य के साथ होने वाले इस खिलवाड़ को किसी भी कीमत पर रोका जाना जरूरी है। नीट पेपर लीक मामला जो सुप्रीम कोर्ट से लेकर सीबीआई जांच और सड़क से लेकर संसद तक छा चुका है उस मुद्दे को अब भाजपा के प्रवक्ता तो यह कहकर दबा सकते हैं कि कांग्रेस के कार्यकाल में तो ऐसा होता रहा है और न यह कहकर सरकार का कोई बचाव कर पा रहे हैं कि कांग्रेस देश के युवाओं को बरगला रही है या बहका रही है। उनका कोई भी हथकंडा अब काम आने वाला नहीं है। नीट जैसी परीक्षा के तार अगर कॉर्पाेरेट से जुड़े हैं, जहां प्रवेश के नाम पर एक—एक छात्र से करोड़ों का धंधा हो रहा है और देश के गरीब और प्रतिभाशाली छात्रों का भविष्य चौपट किया जा रहा है तो कोई मामूली समस्या नहीं है पेपर लीक का मुद्दा एक राष्ट्रीय समस्या बन चुका है लेकिन अब इसके स्थाई समाधान का समय आ चुका है। कांग्रेस जिसने इसे चुनाव में सबसे प्रभावी ढंग से उठाया अब अगर वह उतने ही प्रभावी ढंग से इसे समाधान तक ले जा पाती है तो यह देश के युवाओं के लिए बहुत बड़ा तोहफा होगा।