चुनाव के बाद बहुत कुछ बदला

0
44


लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भले ही कुछ राजनीतिक दल, नेता और लोग यह सोच रहे हो कि सब कुछ 2014 व 2019 जैसा ही तो है। वही मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और वही मंत्रियों के विभाग। वही ईडी और सीबीआई तथा अधिकारी सब कुछ तो पहले जैसा ही है, लेकिन यह आधा सच है। पूरा सच यह है कि 18वीं लोकसभा के चुनाव के बाद देश की राजनीति और राजनीतिक पार्टियों की सोच तक तथा सत्ता में बैठी सरकार और विपक्षी सांसदों तक और देश के मीडिया से लेकर देश के सबसे बड़े और पुराने सामाजिक संगठन आरएसएस तक सब कुछ बदल गया है। तीसरी बार प्रधानमंत्री पद का शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी भले ही असलियत को छुपाने के लिए जोश और उत्साह दिखाने की हर संभव कोशिश कर रहे हो लेकिन आज जनता उनके अंदर की निराशा को अच्छे से देख समझ रही है। राहुल गांधी इन दिनों मौजूदा राजनीतिक स्थितियों का पूरा मजा ले रहे हैं। सत्ता भले ही नहीं मिल सकी हो लेकिन सत्ता मिलने के बाद भी वह उतना कंफर्ट कभी नहीं हो सकते थे जितने इन दिनों है। क्योंकि तब उनके ऊपर जनता से किए गए वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी होती। अब वही मोदी से कह रहे हैं कि अब वह 56 इंच वाले से 30—32 इंच वाले हो गए हैं। अभी उन्होंने एक विदेशी अखबार को इंटरव्यू देते हुए कहा कि यह सरकार किसी भी समय गिर सकती है। क्योंकि जिन सहयोगियों के भरोसे पर सरकार चल रही है वह भरोसेमंद नहीं है। इस बार लोकसभा चुनाव के परिणाम अपेक्षा अनुरूप न आने के बाद भाजपा के अंदर जो महाभारत छिड़ा हुआ है और इस तरह की जो खबरें आ रही है कि संघ मोदी को निपटाने में लगा हुआ है या मोदी योगी को निपटाने में लगे हुए हैं यह समझ पाना भी मुश्किल हो चुका है कि कौन किसे निपटाने में लगा हुआ है हां एक बात जरूर साफ है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच जिस तरह तनातनी इस बार देखी जा रही है तथा खुले मंच से एक दूसरे को चुनौतियां दी जा रही है वह इस बात की तस्दीक तो करती ही है कि भाजपा के अंदर अब सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। संघ प्रमुख का भाजपा नेताओं को नसीहत देना और कांग्रेस तथा राहुल गांधी के काम की तारीफ करना यह बताने के लिए काफी है कि इस चुनाव के नतीजो के बाद भले ही सरकार न बदली हो लेकिन बहुत कुछ है जो बदल गया है। देश के उस कॉरपोरेट जगत ने जो सिर्फ मोदी के इर्द—गिर्द रहता था अपनी दिशा को बदल लिया है अभी एक कार्यक्रम के दौरान गौतम अडानी ने मंच से कांग्रेस सरकारों के काम की तारीफ करते हुए सबसे बेहतर बताया गया इसमें कोई संशय नहीं है कि जिस मीडिया ने इस चुनाव में तथा चुनाव से पूर्व जिस तरह अपनी भद्द पिटवाई गई वह इतिहास कभी मिटाया नहीं जा सकेगा। लेकिन अब उस गोदी मीडिया को भी यह समझ आ गया है कि जो कुछ उसने किया गलत था। कोई नेता अगर मीडियाकर्मी को या मीडिया संस्थान को मंच से दूत्कारनेे लगे तो उसके मायने क्या होते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस की जगह बीजेपी होती तो यह सरकार बनी ही नहीं होती। लेकिन कांग्रेस इस सरकार को न खुद गिराने का प्रयास करेगी और न सरकार गिरा कर सरकार बनाने का। इसके बावजूद भी इस सरकार का अस्तित्व वजूद में कब तक बना रह पाता है यह समय ही बताएगा। क्योंकि इस चुनाव के बाद बहुत कुछ बदल चुका है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here