आग से खेलते अग्निवीर

0
216

अंधेरे घर को रोशन करने के लिए जलाए जाने वाला चिराग ही अगर घर को जलाकर राख कर दे तो इसे आप क्या कहेंगे? देश के युवा जिन्हें सरकार अग्निवीर बनाकर देश और समाज की सुरक्षा की रूपरेखा बना रही थी वह अग्निवीर देश की संपदा को आग लगा रहे हैं। निश्चित तौर पर असहमति का यह अराजक तरीका किसी भी सूरत में सही नहीं कहा जा सकता है। देश और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को विरोध के नाम पर इस तरह की अराजकता की छूट नहीं दी जा सकती। युवाओं को अगर सरकार का यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था तो वह इसका बहिष्कार भी कर सकते थे वह अग्निवीर अगर नहीं बनना चाहते तो न बने उन्हें कोई जबरन अग्निवीर बनने के लिए बाध्य तो नहीं कर रहा है या सरकार ने ऐसा कोई कानून चीन की तरह तो नहीं बना दिया है कि हर परिवार से एक युवक को सेना में अग्निवीर के तौर पर अपनी सेवाएं देनी ही होगी। यह समझने की बात है कि जिस संपत्ति को वह आग लगा रहे हैं वह पाकिस्तान या चीन की नहीं उनकी अपनी है अपने देश की है। इस संपदा को बहुत आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता है। ट्रेन की एक ऐसी बोगी को बनाने में करोड़ों का खर्च आता है आगजनी करने वाले यह युवा जरा एक रेल का निर्माण करके दिखाएं जिन्होंने एक—दो दिन में ही दर्जनों ट्रेनें फूंक डाली है। सवाल यह भी है कि क्या ट्रेन, बसों या अन्य सरकारी संपदा को जलाने से वह रोजगार (नौकरी) हासिल कर लेंगे? ऐसे अराजक तत्व तो सही मायने में सेना तो क्या किसी भी सेवा में रखे जाने लायक नहीं है। खास और दुखद बात यह है कि यह युवा सरकार की कोई बात सुनने समझने को तैयार नहीं है। सरकार उनकी हर शंका के समाधान का प्रयास कर रही है। सरकार ने सेवानिवृत्त अग्नि वीरों को असम राइफल और केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों में 10 फीसदी आरक्षण देने की बात कही है उन्हें अपने कारोबार के लिए सस्ता बैंक ऋण दिए जाने की बात कही है यही नहीं तमाम राज्यों की सरकारों द्वारा उन्हें राज्य पुलिस में वरीयता के आधार पर रखे जाने का भरोसा दिया जा रहा है, बावजूद इसके यह युवा हिंसा व आगजनी का रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं है। आज तीसरे दिन भी कई राज्यों में हिंसा और आगजनी का तांडव जारी है। इनके इस विरोध प्रदर्शन के पीछे जहां कुछ राजनीतिक दलों को बताया जा रहा है वहीं कुछ देश विरोधी ताकते भी इन युवाओं को भड़काने का काम कर रही हैं। यह आंदोलन भी अन्य सभी आंदोलनों की तरह समाप्त हो जाएगा। लेकिन ऐसी ताकतों को पहचाना जरूर जाना चाहिए जो देश के युवाओं को भड़का कर समाज में अराजकता फैलाने का षड्यंत्र कर रहे हैं। जो राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी राजनीति की रोटियां सेंक रहे हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि इससे उन्हें भी कुछ हासिल होने वाला नहीं है। नकारात्मक राजनीति से न उनका कुछ भला हो सकता है और न राष्ट्र और समाज का।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here