इसे संयोग कहे या प्रयोग समझे! चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद देश की राजनीति में हर क्षण पल—प्रतिपल ऐसी घटनाएं परिलक्षित हो रही है जो सत्तारूढ़ भाजपा और एनडीए की मुसीबतें बढ़ाने वाली है। लोकसभा चुनाव से ऐन पूर्व चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में सत्ता पक्ष के चुनाव अधिकारी की धोखाधड़ी का पर्दाफाश होने और सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस चुनाव को अंसवैधानिक और लोकतंत्र की हत्या बताये जाने व चुनाव परिणाम को पलटे जाने के फैसले से शुरू हुआ यह सिलसिला अब तक जारी है। ईडी द्वारा केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने और देश की महिला रेसलर्स के यौन उत्पीड़न के आरोपी केंद्रीय मंत्री बृजभूषण पर दिल्ली पुलिस द्वारा आरोप तय करने और चार्जशीट दाखिल किये जाने की घटनाओं ने भाजपा और केन्द्र सरकार की मुश्किलों को और अधिक बढ़ा दिया है। मोदी सरकार जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर कई राज्यों के मुख्यमत्रियों को चुनाव के दौरान जेल भेजने की रणनीति बनायी थी वह अब उस पर ही भारी पड़ती दिख रही है। केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा भले ही 20 दिन के लिए ही सही लेकिन चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देकर यह साफ कर दिया है कि लोकतंत्र की सर्वोच्चता ही सर्वोपरि है और सिर्फ आरोपों के आधार पर किसी भी दल के बड़े नेता को चुनावी प्रक्रिया से दूर रखने के लिए अधिक समय के लिए जेल में बंद नहीं रखा जा सकता है। चुनाव के दौरान की गयी ईडी की यह कार्यवाही गलत थी। इस काम को ईडी चुनाव से पहले या बाद में भी कर सकती थी। ख्ौर अब केजरीवाल बाहर आ गये है और उनके प्रभाव वाले राज्य दिल्ली और पंजाब के लिए तो वह चुनाव प्रचार कर ही सकेंगे साथ ही अपने इंडिया गठबंधन को भी उनके प्रचार का पूरा फायदा मिलेगा। क्योंकि 50 दिन जेल में रहकर वह अपने आप को पूरी तरह तैयार कर चुके है। बाहर आकर उन्हे क्या—क्या करना है? जिसका संकेत उन्होेने जेल से बाहर आते ही तानाशाह सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान करके दे दिया है। उधर केसरगंज से सांसद व मंत्री बृजभूषण पर आरोप तय होते ही उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गयी है। भाजपा ने भले ही उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दिया था। लेकिन अब भाजपा इस सीट पर नया प्रत्याशी भी उतार सकती है, ऐसी चर्चाएं शुरू हो चुकी है। देश की महिला खिलाड़ियों की अनुसुनी करने और उन्हे सड़कों पर घसीटने की घटनाओं के बाद भी अपने मंत्री का बचाव करने में जुटी रही सरकार बृजभूषण को पार्टी से भी बाहर कर सकती है लेकिन इस मामले को लेकर भाजपा को जो नुकसान होना है उसकी भरपायी वह कुछ भी करके नहीं कर पायेगी। अभी लोकसभा चुनाव के महज तीन ही चरण हुए है चौथे चरण का मतदान 13 मई को होना है। भाजपा और एनडीए को कितना नुकसान चंडीगढ़ और इलेक्टोरल बांड को अंसवैधानिक ठहराये जाने से हो चुका है और कितना कर्नाटका के रेवन्ना सेक्स कांड व केजरीवाल, सोरेन की गिरफ्तारी और बृजभूषण के खिलाफ होने वाली कार्यवाही से पड़ेगा? यह समय के साथ तय होगा। मगर अविराम जारी इन घटनाओं ने भाजपा और एनडीए की चुनावी गाड़ी को पटरी से जरूर उतार दिया है। अगर हालात यही रहते है तो उसका सत्ता में बने रहना भी मुश्किल हो जायेगा चार सौ पार की बात तो भूल ही जाइये।