बदहाल सड़कें

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उत्तराखंड की सड़कों की क्या स्थिति है यह न सरकार से छिपा हुआ है और न नेताओं से। जनता तो इन बदहाल सड़कों से होने वाली दिक्कतों को रोज झेल ही रही है। मानसून काल में अतिवृष्टि और भूस्खलन और भू धसाव के कारण बदहाल हुई इन सड़कों को सुधारने की जो कवायद शुरू हुई थी वह भी अब उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल हादसे और नेताओं के चुनावी अभियान में व्यस्तता के मद्देनजर मंद गति से ही आगे बढ़ रही है। पूरा सरकारी अमला और पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी इन दिनों सिलक्यारा में चल रहे बचाव और राहत कार्यों में जुटे हुए हैं और जो बाकी बचे हैं वह राजधानी दून में अगले माह के पहले सप्ताह में आयोजित होने वाले ग्लोबल समिट की तैयारी में लगे हुए हैं। बीते कल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों की बैठक में उन्हें हर हाल में 30 नवंबर तक राज्य की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने के निर्देश देते हुए उन्हें चेतावनी दी गई है कि जो भी इस काम में लापरवाही करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि जो काम महीनो और सालों में भी पूरा नहीं हो सका है वह सिर्फ 8—10 दिनों में कैसे पूरा किया जा सकता है। जहां तक नेताओं की बात है वह भी इन दिनों चुनावी तैयारी में जुटे हुए हैं भाजपा प्रदेश में 23 नवंबर से 26 नवंबर तक भारत संकल्प यात्रा का आयोजन कर रही है जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों तक की ड्यूटी लगी हुई है। अभी मुख्यमंत्री जब राजस्थान में चुनावी अभियान पर गए हुए थे तो विपक्ष ने उन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि सीएम चुनावी सभाएं कर रहे हैं और उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूर जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं। अभी हाल में नैनीताल में हुए एक सड़क हादसे में आठ लोगों की जान चली गई निसंदेह इस हादसे के पीछे राज्य की खराब सड़के ही सबसे बड़ी वजह है। इन खराब सड़कों के कारण हर रोज राज्य में औसतन तीन लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। नेता विपक्ष का तो कहना है कि बीते 4 सालों में खराब सड़कों के कारण 3403 लोगों की मौत हो चुकी है। जहां तक राजधानी दून की बात है तो यहां स्मार्ट सिटी के कामों के चलते सड़कों की जो दुर्दशा हो चुकी है उसे एक सप्ताह तो क्या महीनो काम करके भी नहीं सुधार जा सकता है। राजधानी में सड़कों के गड्ढे भरने का काम किस तरह किया जा रहा है तथा इस पेचवर्क से सड़कों की हालत कितनी सुधर या बिगड़ रही है इसे देखकर यही कहा जा सकता है कि यह सड़कों को ठीक करना नहीं सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। राजधानी की खराब सड़कों के कारण पूरे शहर में दिन के समय जाम की स्थिति बनी रहती है। सड़क सुद्ढ़ीकरण के इस काम के कारण भी लोग भारी परेशान हैं अभी दो—तीन दिन पहले मोहंड से लेकर दून तक ऐसा जाम लग गया कि लोग चार—चार घंटे तक इस जाम में फंसे रहे। नगर निगम द्वारा इन्वेस्टर समिट के लिए 150 सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति एक माह के लिए की जा रही है जिससे देश—विदेश से आने वाले लोगों को एक साफ सुथरा शहर दिखाया जा सके। राजधानी की सभी नहीं तो कुछ खास सड़कों को 30 नवंबर तक जरूर चकाचक बनाया जा सकता है लेकिन बाकी शहर और प्रदेश का क्या? उस पर काम जैसे होता आया है वैसा ही होता रहेगा। भले ही राज्य की सड़कों में सुधार व कनेक्टिविटी बढ़ाने के चाहे जो दावे किए जाएं लेकिन धरातल पर सड़कों की हालत बद से बदतर हो चुकी है जिसे सुधारे जाने की जरूरत है।

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