गरीबी से मुक्ति के दावे

0
175


आपकी सोच अच्छी होनी चाहिए, अगर आप अपनी जिंदगी में सब कुछ अच्छा देखना चाहते हैं। बड़ा सोचो बड़े—बड़े सपने देखो अगर कुछ बड़ा करना चाहते हो। यह सब कुछ सही है लेकिन क्या आपकी अच्छी सोच और बड़े—बड़े सपने देखने से सब कुछ हो सकता है? यह सवाल सबसे अहम है? एक मुर्गी खरीदूंगा वह रोज एक अंडा देगी महीने में 30 चूजे होंगे और साल भर में मैं एक मुर्गी फार्म का मालिक बन जाऊंगा। अगर ऐसा संभव होता तो शायद आज देश और दुनिया में कोई एक भी व्यक्ति गरीब नहीं होता। गरीबी कितना बड़ा अभिशाप है इस बात को सिर्फ वही व्यक्ति महसूस कर सकता है जिसने गरीबी में जिंदगी बिताई हो। यह विचार सिर्फ एक अमीर व्यक्ति का ही हो सकता है कि गरीबी में पैदा होना दुर्भाग्य की बात नहीं है बल्कि गरीबी में मरना जरूर दुर्भाग्य की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा है कि बीते 10 सालों में उन्होंने देश के 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाने का काम किया है। उनका यह भी कहना है कि लोगों की आय में 5 गुना वृद्धि हुई है। यह सरकारी आंकड़े हैं इस तर्क के आधार पर कि 10 साल पहले 4 करोड लोग आयकर रिटर्न भरते थे और अब इनकी संख्या 7.5 करोड़ हो गई है आप यह कैसे कह सकते हैं कि हर व्यक्ति की आय 10 साल में 5 गुना बढ़ गई है। एक सवाल यह भी है कि 10 वर्ष पूर्व एक मध्यम या गरीब वर्ग का घर खर्चे कितने में भी चल रहा था और आज उसे अपने परिवार को चलाने के लिए कितने खर्च करने पड़ रहे हैं। या सीधे तौर पर कहें तो महंगाई कितनी बढ़ी है इसका अनुपातिक हिसाब देखा जाए तो गरीब गरीबी से ऊपर नहीं आए हैं बल्कि और ज्यादा गरीब हो गए हैं। एक रसोई गैस सिलेंडर जिसकी कीमत अभी कुछ दिन पहले 1200 पर थी और पेट्रोल—डीजल जो अभी 100 रूपये प्रति लीटर के पार है। 10 साल पहले उनकी कीमतें क्या हुआ करती थी? आज इस मुद्दे पर बात क्यों नहीं की जाती है। मोटा—मोटी सब कुछ वही है जहां था। किसानों की आय दो गुना हो गई लोगों की 5 गुना, फिर भी किसान आत्महत्याएं क्यों कर रहे हैं क्यों आर्थिक तंगी के कारण परिवार सामूहिक आत्महत्याओं पर विवश है? उससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्यों सरकार को गरीब जिनकी संख्या 80 करोड़ बताई जा रही है मुफ्त का राशन बांटने की जरूरत पड़ रही है। सरकार गरीबों को मुफ्त का राशन देने के लिए जो अपना यशगान कर रही है देश के लिए शर्म की बात है। अगर आजादी के 75 साल बाद भी देश के 80 करोड़ यानी 60 प्रतिशत आबादी इतनी गरीब है कि वह सरकार के मुफ्त के राशन पर जिंदा है तो इससे बड़ी शर्म की बात भला और देश के लिए क्या हो सकती है प्रधानमंत्री गरीबी मिटाने के लिए नियत और मंशा की बात करते हैं। जिस मुफ्त के राशन की शुरुआत कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए की गई उसकी समय सीमा पहले मार्च 2024 तक और अब 2028 तक जारी रखने के पीछे उनकी मंशा और नियत क्या है उनसे यह सवाल जरूर पूछा जाना चाहिए क्या उनकी इस मुफ्त के राशन से देश की गरीबी दूर हो जाएगी? या यह देश के गरीबों को गरीब ही बनाए रखने का षड्यंत्र है। मुफ्त की रेवडिं़या बांटने वालों से जनता को सतर्क रहने की नसीहत देने वाले प्रधानमंत्री क्यों अब खुद मुफ्त की रेवड़िया बांट रहे हैं जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वहां तमाम ऐसी घोषणाएं वह कर रहे हैं यह सब क्या तमाशा है? सच यही है कि अपनी गरीबी से बाहर आने के लिए खुद गरीब मेहनत कर रहे हैं क्योंकि वह जानते हैं कि उनकी मेहनत ही इस अभिशाप से मुक्ति का एकमात्र उपाय है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here