बीते कल उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट बैठक में जो सर्विस सेक्टर पॉलिसी लाने का फैसला किया है उसके मूल में इस सरकार की यही मंशा है कि राज्य में बड़े निवेश को कैसे आकर्षित किया जाए। बीते कुछ सालों में जो राज्यों ने इन्वेस्टर्स समिटो का आयोजन कर निवेश को बढ़ावा देने का एक तरीका खोजा है उसे कामयाब बनाने के लिए यह जरूरी है कि आपके राज्य की एक बेहतर सर्विस सेक्टर पॉलिसी हो जो निवेशकों को इस बात की गारंटी देती हो कि वह आपके राज्य में निवेश करते हैं तो वह उनके लिए फायदे का सौदा है तथा उन्हें सरकार हर संभव सहायता और सुरक्षा प्रदान करेगी। उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा, होटल, वैलनेस सेंटर, योगा सेंटर, फिल्म और आईटी तथा खेल आदि अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें विकास की अपरिमित संभावनाएं मौजूद है। सरकार द्वारा इन तमाम क्षेत्रों में निवेश करने वाले उघोगपतियों को क्या—क्या सुविधाएं प्रदान करेगी? इस पहली बार बनाई गई सर्विस पॉलिसी में निहित होगा। सरकार द्वारा अपनी इस पहले सर्विस पॉलिसी को लाने का फैसला ठीक उस समय से पूर्व किया गया है जब सरकार दिसंबर माह में राज्य में एक बड़ी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन करने जा रही है जिसमें बहुत बड़े निवेश आने का दावा किया जा रहा है ग्लोबल समिट से ऐन पूर्व लाई गई इस पॉलिसी का मुख्य कारण यही है कि सरकार इन निवेशकों को यह बता सके कि वह राज्य में कहां और किस सेक्टर में कितना निवेश करेंगे तो सरकार उन्हें क्या—क्या सुविधाएं देगी। 100 करोड़ से 500 करोड़ तक के बड़े निवेश को सरकार द्वारा 25 फीसदी सब्सिडी देने का फैसला इस नीति के तहत किया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड की हसीन और मनमोहक वादियों में पर्यटन, योग, वैलनेस सेंटर और फिल्म तथा होटल व्यवसाय के लिए अत्यंत ही मुफीद वातावरण और माहौल है। लेकिन यह सरकार की उन पॉलिसीयों पर ही निर्भर करेगा कि उसे कितना निवेश मिलता है और वह निवेश कितना टिकाऊ होता है जो सरकार लागू करने वाली है। ऐसा नहीं है कि राज्य में पहली बार औघोगिक निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं। भले ही सरकार सर्विस सेक्टर के लिए पहली बार कोई पॉलिसी लाई हो लेकिन राज्य गठन से ही पहाड़ पर उघोगों को पहुंचाने की बात की जाती रही है। मगर सरकारी नीतियों की लचर व्यवस्था और उदासीन रवैया के कारण इसका कोई लाभ नहीं मिल सका है। राज्य गठन के बाद केंद्र सरकार द्वारा राज्य को विशेष आर्थिक पैकेज दिया गया था। इस आर्थिक पैकेज का फायदा उठाने के लिए तमाम बड़े—बड़े उघोग राज्य में आए यह अलग बात है कि पहाड़ पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण इनका दायरा दून, उधम सिंह नगर और हरिद्वार तक ही सीमित रहा लेकिन इस विशेष पैकेज की अवधि समाप्त होते ही तमाम उघोग भी सब्सिडी का लाभ उठाकर चलते बने। हालांकि बीते 10 सालों में राज्य के इंफ्रास्ट्रेंक्चर में भारी सुधार आया है कनेक्टिविटी बढ़ी है सड़क, रेल, वायु तथा संचार सुविधाएं निरंतर बढ़ रही है इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि अब पहले जैसी स्थितियां पैदा नहीं होगी और पहाड़ पर उघोग लगेंगे भी और टिकेंगे भी लेकिन इसके लिए सरकार की नीतियों और नियत दोनों का सही होना जरूरी है।