झंडा ऊंचा रहे हमारा

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देशवासी आज आजादी की 77वी वर्षगांठ मना रहे हैं। अंग्रेजी हुकूमत से निजात पाने के बाद हिंदुस्तान ने आजाद अस्तित्व का जो सफर शुरू किया था अब उसके 76 साल पूरे हो चुके हैं। आजादी पूर्व का इतिहास भले ही कितना भी दुखद और आक्रांताओं के अत्याचार से भरा रहा हो लेकिन आजादी के बाद तमाम उतार—चढ़ाव के बीच भारत निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहा है। भले ही देश को इस मुकाम तक पहुंचने में लंबा समय लगा हो लेकिन भारत मजबूती के साथ आगे बढ़ता रहा है और अब तक एक ऐसी महाशक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है कि अब उसे कोई न डरा सकता है और न आगे बढ़ने से रोक सकता है। विश्व के वह राष्ट्र जो स्वयं को विश्व की महाशक्तियों में शुमार करते थे अब वह भी भारत के अंदर निहित विकास की अपार संभावनाओं के मद्देनजर भारत को विश्व की एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में देख रहे हैं। भारत आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है और आने वाले एक दशक में वह है तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा इसमें किसी को भी कोई संदेह नहीं है। विकास की दौड़ में भारत उस ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ चुका है जिसने देश पर इतने लंबे समय तक शासन किया। यह चमत्कार किसी सरकार ने नहीं किया है बल्कि इस देश की उस मेहनत का जनता ने किया है जो पिछले 76 सालों से खून पसीना बहा रही है देश कि उसे आबादी ने किया है जिसे अभिशाप माना जाता रहा है। कुटीर और लघु उघोग धंधों तथा प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर देश के उन किसानों और मजदूरों ने किया है जो दिन—रात मेहनत करते रहे हैं। लेकिन 76 सालों की इस विकास यात्रा का सबसे दुखद और पीड़ा दायक पहलू यही है कि इन देश के गरीब किसानों और मजदूरों की स्थिति और परिस्थितियों में अभी भी वह अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है जो होना चाहिए था। इनका हक हमेशा या देश के चंंद पूंजी पतियों द्वारा हड़पा जाता रहा है या फिर शासन प्रशासन में बैठे भ्रष्टाचारियों द्वारा जो आज देश की संपदा के 70 फीसदी हिस्से पर कब्जा किए बैठे हैं। सही मायने में इस देश को आजादी तब तक नहीं मिल सकती है जब तक देश को भ्रष्टाचारियों से मुक्त नहीं कराया जाएगा। लेकिन इस काम को भी इस देश के नेता और नौकरशाह करने वाले नहीं हैं अगर उन्होंने कुछ करना होता तो अब तक वह बहुत कुछ कर चुके होते। इस काम को भी एक दिन इस देश की जनता ही करेगी जिसने देश को अन्य तमाम क्षेत्रों में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया है। इसकी शुरुआत देश में हो चुकी है देखना है कि शासन प्रशासन में बैठे सशक्त लोग कब तक उन्हें रोकने में कामयाब हो पाते हैं हर बार लाल किले के प्राचीर से झंडा फहराने वाले देश के प्रधानमंत्री द्वारा भ्रष्टाचार शब्द का प्रयोग अपने भाषणों में तो किया जाता है लेकिन भ्रष्टाचार रोकने वाली कोई सशक्त सत्ता आज तक स्थापित नहीं की जा सकी है। हमने अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ जनाक्रोश के साथ यह भी देखा था कि नेताओं और सरकारी तंत्र ने इस आंदोलन को दबाने व खत्म करने के लिए क्या कुछ किया था? झंडा ऊंचा रहे हमारा का गीत तो हम 76 सालों से गाते आ रहे हैं लेकिन यह हमारा झंडा सही मायने में उसे दिन ही ऊंचा होगा जब देश से इस भ्रष्टाचार को मिटाया जा सकेगा?

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