मानसून आया आफत लाया

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उत्तराखंड में मानसून की आमद के साथ ही जिस तरह की आफत से पर्यटकों और आम लोगों को दो—चार होना पड़ रहा है उससे यह साफ हो गया है कि देवभूमि को आने वाले समय में और अधिक गंभीर हालात का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए शासन—प्रशासन व आपदा राहत विभाग की टीमों को तैयार रहना चाहिए। यूं तो सूबे में मार्च के अंतिम सप्ताह से बेमौसम बारिश और बर्फबारी के कारण तमाम तरह की विसंगतियों से जूझना पड़ा है। सभी धामों में बारिश और बर्फबारी के कारण तापमान में भारी कमी आने से चारधाम याात्री स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ—साथ आवागमन संबंधी परेशानियों का सामना करते रहे हैं जिसकी वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत भी हुई है। यह आस्था का वशीकरण ही था जिसकी वजह से इन यात्रियों का बड़ी संख्या में चारों धामों में आना जारी रहा लेकिन अब हालात और भी प्रतिकूल होते जा रहे हैं। बीते 2 दिनों में राज्य में हुई भारी बारिश के कारण अब बड़ी संख्या में सड़कों पर आवागमन बाधित हो गया है। चारधाम यात्रा मार्ग पर अनेक स्थानों पर मलबा और बोल्डर आने से मार्ग बंद हो गए हैं। यात्रा मार्गाे की 47 सड़कों के बाधित होने से अब यात्री जहां—तहां फंसे हुए हैं जिन विभागों पर इन सड़कों को खोलने का जिम्मा है वह सड़कों को खोलने में जुटे हुए हैं इस काम में सरकार ने भी 17 फोकलेन और 47 जेसीबी मशीनें लगाई हुई है। लेकिन जब तक एक जगह सड़कों को खोला जाता है तो बारिश के कारण दूसरी जगह मार्ग बाधित होने की घटनाएं सामने आ जाती है। ऐसे में अब यात्रा का सुचारू रूप से संचालन मुश्किल होना स्वाभाविक है। इस बारिश के साथ ही केदार धाम यात्रा को तो लगभग रोक दिया गया है तमाम पड़ावों पर यात्री रुके हुए हैं। बीते कल एक यात्री वाहन पर पहाड़ से मलबा गिरने की घटना सामने आई गनीमत यह रही कि इसमें किसी की मौत नहीं हुई इसके अतिरिक्त राज्य में कल बिजली गिरने व बारिश के कारण 2 लोगों की मौत हो गई। इस पहली मानसूनी बारिश के बाद राज्य के मैदानी क्षेत्रों में तमाम शहरी क्षेत्रों में जलभराव व ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। बात चाहे दून की हो या हरिद्वार की अथवा लक्सर की जहां सड़कें तालाब में तब्दील हो गई लोगों के घरों और दुकानों में पानी घुस गया और धन का काफी नुकसान हुआ है। राज्य की नदियां उफान पर हैं ऋषिकेश में राफ्टिंग को बंद कर दिया है। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार करने वाला है। खास बात यह है कि यह अभी शुरुआत है मौसम विभाग द्वारा अब राज्य में 27 जून तक भारी बारिश और 30 जून तक लगातार बारिश होने की संभावना जताई है। जिसके कारण शासन प्रशासन हाई अलर्ट पर है। खुद मुख्यमंत्री धामी भी आपदा प्रबंधन विभाग से अपडेट ले रहे हैं। पहाड़ में बारिश के दौरान सड़कों के बाधित होने से सिर्फ यातायात प्रभावित नहीं होता है पहाड़ की सप्लाई लाइन टूट जाने के कारण पहाड़ पर आम जरूरत की वस्तुओं का पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है। बारिश के कारण चारों धामों में खाघ आपूर्ति नहीं हो पाती है और फिर सारी व्यवस्थाएं ठप हो जाती है। केदारनाथ में हेली सेवाएं देने वाली चार कंपनियों ने अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं। आपदा प्रबंधन की टीमों के रिएक्शन टाइम की बात भले ही सुनने में अच्छी लगती हो लेकिन जब टीमों को दुर्घटना स्थल तक पहुंचने का कोई रास्ता ही न हो तो ऐसे में आपदा प्रबंधन टीमें भी क्या कर सकती है। आने वाले समय में चार धाम यात्रा पर भी ब्रेक लगना या उसकी गति का धीमा पढ़ना स्वभाविक है। मानसून के प्रारंभिक दौर में ही राज्य में होने वाली यह भारी बारिश बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है क्योंकि बारिश और खराब मौसम के बीच मरम्मत का काम भी आसान नहीं होता है। निर्माण कार्यों का तो सवाल ही नहीं उठता देखना होगा कि सरकार अब इस चुनौती से निपटने के लिए क्या कुछ प्लान तैयार करती है।

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