आखिर दून कब बनेगा स्मार्ट सिटी?

0
439

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को जब स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल किया गया था तो भाजपा नेताओं ने इस उपलब्धि का खूब ढोल पीटा था। आज वहीं भाजपा के नेता और मंत्री और विधायक स्मार्ट सिटी के कामों की सुस्त रफ्तार और देहरादून की इन कामों के कारण हुई दुर्दशा को लेकर तमाम तरह के सवाल उठा रहे हैं। बीते कल कलेक्ट्रेट सभागार में विधायकों और अधिकारियों की जो बैठक हुई उसमें विधायकों ने खूब खरी—खोटी सुनाई। अलग—अलग कामों की प्रगति रिपोर्ट मांगे जाने और कामों की समय सीमा तय करने पर पूछताछ हुई तो अधिकारियों के घिसे पिटे जवाब सुनकर मंत्रियों का पारा हाई हो गया उन्होंने साफ—साफ कहा कि आपके यह सात दिन कब पूरे होंगे। बैठक में काम की सुस्त रफ्तार पर कहा गया कि ठेका तो ले लिया 60 करोड़ के काम का और लेबर लगा रखी है 4 आदमी, तो भला कैसे काम सप्ताह भर में पूरा हो जाएगा। भाजपा विधायक खजान दास ने तो यहां तक कहा कि कुछ तो करके दिखाओ जनता सालों से शहर की खराब स्थिति और सड़कों के गड्ढों से जूझ रही है इन गड्ढों में गिरकर कोई मर गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। खैर यह कोई पहला मर्तबा नहीं है जब खुद ही भाजपा के विधायकों या मंत्रियों ने स्मार्ट सिटी के कामों पर सवाल उठाए हो। इससे पूर्व भी भाजपा के कई मंत्री और विधायक स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर अब भाजपा के नेताओं की बेचैनी इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि निकाय और लोकसभा चुनाव सर पर खड़े हैं। अगर स्मार्ट सिटी के यह काम चुनाव से पहले पूरे नहीं हो पाते हैं तो फिर भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी इसे भाजपा और उसके नेता बखूबी जानते समझते हैं। रही बात इन कामों के पूरा होने की तो यह भी तय है कि जिस गति से यह काम अब तक चल रहे हैं अगर उसी गति से चलते रहे तो इन कामों को समय पर पूरा हो पाना संभव नहीं है। स्मार्ट सिटी के कामों को शुरू हुए कई साल का समय बीत चुका है लेकिन इन कामों की स्थिति ऐसी है कि इन्हें पूरा किया जाना एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अनियोजित ढंग से शुरू किए गए इन कामों को बार—बार किया जाना और खामियों के कारण फिर तोड़ा जाना और फिर दोबारा किया जाना आम बात हो गया है। परेड ग्राउंड में किया गया स्टेज का निर्माण एक अकेला ऐसा सबूत नहीं है। सीवर और वाटर सप्लाई लाइनों को बदलने के लिए बार—बार सड़कों को खोदा जाना और सड़कों के किनारे बनाए जाने वाले फुटपाथ पर बार—बार टाइल लगाने और उखाड़े जाने का काम सभी दून के लोग देख रहे हैं। पूरे शहर की जो दुर्दशा इन स्मार्ट सिटी के कामों के कारण हुई वैसी दुर्दशा शायद इस शहर की कभी नहीं रही होगी। स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर में लाखों पेड़ काटकर उसकी खूबसूरती को चौपट किया जा चुका है। शहर की सड़कों की क्या हालत हो गई है यह भी किसी से नहीं छुपा है। तमाम शहर इन स्मार्ट सिटी के कामों के कारण धूल धूल हो रहा है। व्यवसायियों का काम करना मुश्किल हो गया है और आम आदमी का सड़कों पर चलना भी मुश्किल है। ऐसी स्थिति में तब जब मानसून सर पर आ गया है तथा 4 दिन बाद राज्य में बरसात का मौसम शुरू हो जाएगा इस शहर की क्या दुर्दशा होने वाली है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। बीते तीन—चार साल से लगातार इस दिक्कत परेशानी को झेल रहे दून के लोग इस हालात से इतने तंग आ चुके हैं कि अब यह कतई भी गवारा नहीं है उनको पहले यह उम्मीद थी कि कुछ दिनों की समस्या है लेकिन स्मार्ट सिटी के काम पूरा होने पर उनका शहर किसी मॉडल सिटी से कम नहीं रह जाएगा लेकिन वह दिन कब आएगा उस दिन का इंतजार करते करते लोग थक चुके हैं अब वह सोच रहे होंगे कि इससे तो हमारा शहर पहले ही बेहतर था। स्मार्ट सिटी के कामों में तो विलंब हो ही रहा है इसके साथ ही इसका बजट भी कई गुना बढ़ता जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर स्मार्ट सिटी के यह काम कब पूरे होंगे? और कब शहर के लोगों को इन समस्याओं से निजात मिलेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here