लैंड जेहाद पर सख्ती का संदेश

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उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां बहुत कुछ बदला है खास तौर पर उत्तराखंड की जनसंख्या के लिहाज से अगर इस बदलाव को देखा जाए तो राज्य के कुछ हिस्सों में आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है। बात अगर राजधानी दून और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों की करें तो यहां यह बदलाव की गति काफी तेज हो रही है, जिसका कारण विकास की संभावनाओं से जुड़ा है। पड़ोसी राज्यों से आए लोगों द्वारा राज्य में व्यापक स्तर पर जमीनों की खरीद—फरोख्त को लेकर सरकार बहुत पहले ही सतर्क हो गई थी और हिमाचल की तर्ज पर बाहरी लोगों के द्वारा सिर्फ आवासीय भवन निर्माण के लिए 200 वर्ग तक जमीन खरीदने की सीमा तय कर दी गई थी। लेकिन देवभूमि जो आध्यात्मिक और योग संस्कृति की भूमि है, इसलिए धार्मिक स्थलों की आड़ में जमीनों पर कब्जे का काम भी तेजी से हुआ है जिसे लेकर अब धामी सरकार द्वारा कुछ सख्ती दिखाई जा रही है। धामी का कहना है कि वह देवभूमि की आध्यात्मिक संस्कृति और स्वरूप को किसी भी सूरत में नहीं बिगड़ने देंगे। राज्य में लैंड जेहाद शब्द का प्रयोग ही इसके उद्देश्यों की व्याख्या करने के लिए काफी है। एक समुदाय विशेष के लिए इस्तेमाल होने वाले लव जेहाद और लैंड जेहाद जैसे शब्द अल्पसंख्यकों के उस वर्ग से जुड़े हैं जिन्हें राष्ट्रीय विरोधी ताकतों के रूप में काम करने वाला माना जाता है। मुख्यमंत्री का कहना है कि वह किसी भी समुदाय विशेष के विरोधी नहीं है लेकिन अवैध रूप से मजारों की आड़ में वन भूमि या सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह अलग बात है कि उत्तराखंड में वन भूमि व सरकारी भूमि में 1980 से पूर्व की बनी हुई भी अनेक मजारे हैं लेकिन राज्य गठन के बाद इन मजारों के निर्माण में अप्रत्याशित रूप से तेजी आई है। इन मजारों को लेकर एक प्रमुख बात जो सामने आई है वह यह है कि पहले एक समुदाय विशेष के दो चार लोग किसी क्षेत्र में आते हैं वह छोटे—मोटे काम करते हैं या फिर मजदूरी करते हैं और किसी निर्जन स्थान को चिन्हित कर वहां रातों—रात कोई मजार या धार्मिक स्थल बना लेते हैं तथा किसी का विरोध न होने पर उसको धीरे—धीरे विकसित कर लिया जाता है और धार्मिक अनुष्ठान शुरू कर दिए जाते हैं फिर देखते ही देखते वहां एक बड़ी आबादी बस जाती है। मुख्यमंत्री धामी जिस जनसंख्या असंतुलन की बात कर रहे हैं वह इसी तरह का असंतुलन है, जिस पर कड़ाई से रोक लगाने की बात कह रहे हैं। भू अभिलेखों से संबंधित विभागों व वन विभाग को इस दिशा में निर्देश देकर अब इन अवैध कब्जों को चिन्हित कराने और हटाने का काम किया जा रहा है। अभी विकासनगर क्षेत्र में 26 ऐसे कब्जों पर कार्यवाही की गई थी। राज्य भर में 1000 से अधिक ऐसी मजारे मिली है। सीएम का कहना है कि या तो कब्जा करने वाले खुद यहां से हट जाएं अन्यथा प्रशासन उनके खिलाफ कार्यवाही करेगा। मुख्यमंत्री धामी द्वारा इस दिशा में दूसरी बात यह भी कही गई है कि यह अवैध कब्जे चाहे किसी धर्म या समुदाय के हो सभी के खिलाफ कार्यवाही होगी इसके अलावा सरकार धर्मांतरण की घटनाओं को लेकर सख्ती से कार्यवाही करने की बात कह रही है। निश्चित ही सरकार की इस पहल को देवभूमि की मूल संस्कृति और सभ्यता की हिफाजत के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा सकता है।

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