बेआबरू हुए नेता

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कहा जाता है कि जब पाप का घड़ा भर जाता है तो उसका फूटना तय होता है और जब पाप का घड़ा फूटता है तो पाप के भागीदारों को कहीं मुंह छुपाने की भी जगह नहीं मिलती है। उत्तराखंड राज्य में हुए भर्ती घोटालों का सच अब आम जनता के सामने आ चुका है। राज्य में अब तक जितनी भी भर्तियां हुई है वह चाहे किसी भी विभाग में हुई हो या भर्तियों का कोई भी माध्यम रहा हो कोई भी भर्ती निष्पक्ष नहीं हुई है। राज्य की सत्ता पर काबिज रहने वाली भाजपा और कांग्रेस के नेता इनके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं भले ही वह अपने बचाव में एक दूसरे पर कितने भी आरोप प्रत्यारोप लगाए अथवा इन घोटालों की सीबीआई जांच कराएं या न करायें लेकिन राज्य की जनता के सामने इनका असली चेहरा आ चुका है। कल तक पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल जो कह रहे थे कि हां मैंने अपने बेटे और पुत्रवधू को नौकरी दी तो कौन सा पाप कर दिया अब वह खुद इसे नैतिक आधार पर गलत बताकर प्रदेश की जनता से माफी मांग रहे हैं। ठीक वैसे ही पूर्व स्पीकर प्रेमचंद्र अग्रवाल जो पत्रकारों पर भड़क रहे थे कि इसमें भ्रष्टाचार कहां से आ गया उनकी भी सारी हेकड़ी ढीली पड़ चुकी है उनकी ही पार्टी के शीर्ष नेता और केंद्रीय नेतृत्व के वह निशाने पर आ गए हैं उन्हें भी लगने लगा है कि उनका मंत्री पद ही नहीं सब कुछ दांव पर लग चुका है। जिनके सगे संबंधियों ने बैक डोर से नौकरियां पाई और जिन्होंने नौकरियों की रेवड़ियां बांटी वह अब मुंह छुपाते फिर रहे हैं खास बात यह है कि इनकी फेरहिस्त इतनी लंबी है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए अपनी छवि को बचाने की गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है। यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच में जो तथ्य उजागर हुए हैं उसने इस आयोग और अधिकारियों को ही नहीं अपितु पूरे सरकारी सिस्टम को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। यह मामला इतना अधिक गंभीर है कि अगर इसकी सीबीआई जांच कराई गई तो सूबे के दर्जनों नेता और अधिकारी तो जेल पहुंच ही सकते हैं राज्य में हुई सभी भर्तियों को भी रद्द किया जा सकता है। स्थिति यह है कि अब वह सभी नेता जो इस भर्ती घोटाले के दायरे से बाहर है वह चाहे भाजपा के हो या कांग्रेस के एक स्वर से इनकी सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं छात्र संगठनों के नेता व युवा बेरोजगारों ने प्रदेश के युवाओं के साथ की गई इस धोखाधड़ी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। क्योंकि जो छात्र बीते दो दशकों से मेहनत और पढ़ाई करके नौकरी पाना चाहते थे उनके साथ नेताओं, सरकारों और सिस्टम ने बहुत बड़ा खेला किया है इस महापाप के लिए उन्हें कतई भी माफ नहीं किया जा सकता है। भर्ती घोटालों की इस आग में कितने लोगों की बलि चढ़ेगी यह तो समय ही बताएगा लेकिन एक बात तय है कि बिना बली लिए यह मामला अब शांत होने वाला नहीं है।

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