जेन जी का इतना खौफ क्यों?

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नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर की गई एक टिप्पणी, जिसमें उन्होंने देश के युवाओं और बेरोजगारों तथा जेन जी से लोकतंत्र की रक्षा और वोट चोरी रोकने के लिए आगे आने की बात कही है। उसे लेकर देश की सियासत में भूचाल आ गया है। उनके इस पोस्ट को लेकर भाजपा के नेताओं में भारी बेचेनी देखी जा रही है। भाजपा नेता रवि शंकर का तो कहना है कि राहुल गांधी देश में अराजकता फैलाने के दिए देश के युवाओं और छात्रों को भड़का रहे हैं। सवाल यह है कि राहुल गांधी ने अगर यह कहा है कि देश के युवा व छात्र देश के संविधान को बचाने और वोट चोरी को रोकने का काम करेंगे और इस काम में वह युवाओं के साथ खड़े रहेंगे, तो इसमें ऐसी कौन सी बात है जो अराजकता फैलाने की कोशिश कहीं जा सकती है। यह देश युवाओं का देश है उस नई पीढ़ी का है जो डिजिटल इंडिया से जुड़ा हुआ है। राहुल गांधी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उनकी बातें कितनी आसानी से इस युवा पीढ़ी तक पहुंच सकती है राहुल गांधी इन दिनों जिस सियासी मुद्दों पर काम कर रहे हैं वह कितने प्रभावी साबित हो रहे हैं तथा देश की जनता खास तौर पर युवा और बेरोजगार जिनकी बात वह हमेशा करते हैं उनका कितना समर्थन उन्हें मिल रहा है इसे वह अच्छे से जान समझ चुके हैं। वोट चोरी के मुद्दे पर वह अब तक जिस तरह दो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं और जिस तरह के सबूतों के साथ अपनी बात उन्होंने देश की जनता के सामने रखी है तथा यह समझाया है कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद पूरे सिस्टम को हाईजैक कर लिया और उसके सामने कोई क्यों नहीं टिक सकता है? तथा सत्ता क्यों मनमाने फैसले कर रही है? इसकी पूरी कहानी को साफ कर दिया है। इससे अब भाजपा के अंदर एक बड़ी बेचैनी तो है ही साथ ही भाजपा की मुश्किल यह भी है कि वह इसका कोई जवाब भी नहीं दे पा रही है। अभी गृहमंत्री अमित शाह बिहार गए और जनसभा में पूछ बैठे कि अभी राहुल बाबा यहां आए थे आपको पता है वह क्यों आए थे? तभी भीड़ के बीच से नारे सुनाई दिए वोट चोर गाड़ी छोड़। ऐसे हालात किसी नेता को स्तब्ध करने के लिए काफी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में जेन जी का जिक्र किया है। भाजपा के नेता जो आज राहुल गांधी पर अराजकता फैलाने की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं, उनके नेता तो इससे पूर्व देश की सर्वाेच्च अदालत पर भी देश में गृह युद्ध कराने का आरोप लगा चुके हैं। दरअसल भाजपा के नेताओं में इस बात का डर है कि उन्होंने अपने 10—11 साल के शासनकाल में युवाओं को कहीं इतना हताश निराश और परेशान तो नहीं कर दिया है कि वह पड़ोसी देशों की तरह उनकी सरकार के खिलाफ बगावत पर तो नहीं उतर आएंगे। भले ही राहुल गांधी की इसके पीछे ऐसी कोई मंशा न रही हो और उनकी यह टिप्पणी या बयान सरकार के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई की रणनीति का ही एक हिस्सा हो, लेकिन भाजपा नेताओं का बयान उनके अंदर के डर को जरूर प्रदर्शित करने वाले हैं। देश का कोई नागरिक नहीं चाहता कि भारत, श्रीलंका बांग्लादेश या नेपाल जैसी क्रांति के रास्ते पर जाए लेकिन युवा पीढ़ी सत्ता में लोगों को संविधान बदलने या लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ को भी बर्दाश्त नहीं कर सकती है, यह बात सियासतदानों को भी अच्छे से समझ लेनी चाहिए।

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