दून की शान व इंसानियत की पहचान दीनानाथ सलूजा अब नहीं रहे

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राजनीति व साहित्य जगत में शोक की लहर

देहरादून। दीनानाथ सलूजा नहीं रहे। यह खबर आज सुबह जिसे भी मिली सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया हर किसी की जुबान पर एक बात थी वह दून की शान थे और इंसानियत की पहचान थे। दुनिया से अंतिम विदाई लेने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए इससे बड़ी कोई उपलब्धि भला और क्या हो सकती है।
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष दीनानाथ सलूजा ने आज लंबी बीमारी के बाद अपने राजपुर रोड स्थित आवास पर अपना शरीर त्याग दिया। उनके न रहने की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे। दून के विकास के इतिहास में दीनानाथ सलूजा का जो योगदान रहा है उसके लिए उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। साहित्य जगत और सांस्कृतिक विरासतोंं को संवारने और संजोकर रखने के लिए उनके द्वारा अनेक कार्य किए गए। हिंदी और उर्दू साहित्य से जुड़े लोगों की हर संभव मदद के लिए वह हमेशा तत्पर रहें। दून का हिंदी साहित्य भवन का निर्माण उनके ही प्रयासों का साक्ष्य है। 1980 के दशक में नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने दून के विकास के लिए अनेक ऐसे काम किये जिनकी आज भी लोग प्रशंसा करते हैं।
हर दिल अजीज दीनानाथ सलूजा जीवन पर्यंत हर उस व्यक्ति की मदद के लिए साथ खड़े रहे जो भी उनके पास पहुंचा। जन सेवा में संपूर्ण जीवन समर्पित रहे 80 वर्षीय दीनानाथ सलूजा के निधन पर साहित्य व राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने शोक संवेदनाएं में व्यक्त करते हुए उनके निधन को अपूर्ण क्षति बताया है। उनका अंतिम संस्कार आज शाम 5 बजे लखीबाग श्मशान घाट पर किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

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