यमन में भारतीय नर्स की बढ़ीं मुश्किलें, मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिका खारिज

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नई दिल्ली। 2017 से यमन की जेल में कैद भारतीय नर्स की सजा-ए-मौत पर अमल का खतरा बढ़ गया है। यहां के सुप्रीम कोर्ट ने सजा के खिलाफ दायर की गई अपील खारिज कर दी है। मूल रूप से केरल की रहने वाली नर्स का नाम निमिषा प्रिया है। उसे तलाल अब्दो मेहदी नाम के शख्स को कथित रूप से बेहोशी का इंजेक्शन देकर मारने का दोषी पाया गया है। निमिषा ने तलाल को इसलिए मारा, क्योंकि उसके पास निमिषा का पासपोर्ट था और वह इसे वापस लेकर भारत लौटना चाहती थी। यमन में सिविल वॉर चल रहा है। भारतीयों के वहां जाने पर रोक है। प्रिया की मां वहां जाकर मारे गए शख्स के परिवार को मुआवजा देकर बेटी की जान बचा सकती हैं, हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक- निमिषा करीब 12 साल पहले यमन गई थीं। उनके पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए थे। नौकरी की वजह से निमिषा नहीं लौट सकीं थीं। दरअसल, उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी (मृतक) के साथ एक हॉस्पिटल शुरू किया। कुछ वक्त बाद दोनों में विवाद शुरू हो गया। तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट छीनकर अपने पास रख लिया। निमिषा ने जब इसकी शिकायत यमन की अथॉरिटीज से की तो तलाल ने उन्हें बताया कि वह निमिषा का पति है। अथॉरिटीज ने कहा कि यह पति-पत्नी के बीच का मामला है। हम दखल नहीं देंगे। 25 जुलाई 2017 को निमिषा ने तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन यह सोचकर दिया कि वह अपना पासपोर्ट हासिल कर लेंगी और भारत वापस आ जाएंगी लेकिन तलाल की मौत हो गई। निमिषा ने एक और शख्स की मदद से तलाल के शव को ठिकाने लगा दिया। चार दिन बाद ही मामले का खुलासा हो गया और निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया। निमिषा को सजा-ए-मौत सुनाई गई। उनके सहयोगी को ताउम्र जेल की सजा सुनाई गई। तब से यह मामला चल रहा है।

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