चुनाव पर कोरोना संकट

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देश और दुनिया में बढ़ते कोरोना के मामलों लेकर कोहराम मचा हुआ है। बीते कल अमेरिका और ब्रिटेन में एक दिन में सर्वाधिक नए मामले रिकॉर्ड किए गए वहीं विश्व भर में 14.80 करोड़ नए मामले आए जो अब तक के इतिहास में सबसे अधिक हैं बात अगर भारत की करें तो बीते 15 दिनों में कोरोना के नये मामलों में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है तथा अब यह संख्या दस हजार के आस पास पहुंच चुकी है। खास बात यह है कि देश में अभी टेस्टिंग पहले के मुकाबले आधी हो गई है जहां तक बात नए वैरीयंट ओमीक्रोन के लिए होने वाली सिक्योंसिंग टेस्टिंग की है उसका स्तर काफी कम है इसके बावजूद अब देश में ओमीक्रोन के 781 मामले सामने आ चुके हैं और देश के 21 राज्यों तक यह नया वैरीयंट अपने पैर पसार चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर बैठक बुलाई है। देश की राजधानी दिल्ली में जिस तरह से कोरोना बढ़ रहा है उसके मद्देनजर येलो अलर्ट जारी कर दिया गया है तथा तमाम तरह की पाबंदियां लगा दी गई है। ऐसी स्थिति में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कोरोना के तीसरी लहर के खतरे की घंटी बज चुकी है और अब इसे रोक पाना संभव नहीं है। भारत जिसने कल दो और नई वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, सहित अब तक जितनी भी वैक्सीन बाजारों में उपलब्ध है उनके बारे में भले ही कहां कुछ भी जा रहा हो लेकिन यह साफ है कि टीका कोरोना की कोई दवा नहीं है। टीके से इसकी मारक क्षमता भले ही कम हो जाती हो लेकिन कोरोना होने से रोक पाने की क्षमता किसी भी टीके में नहीं है। भारत जैसे देश के लिए कोरोना की यह तीसरी लहर इसलिए भी अधिक चिंतित करने वाली है क्योंकि भारत में आबादी का घनत्व चीन से भी अधिक है वहीं कोरोना का नया वेरियंट डेल्टा से भी तीन चार गुना अधिक संक्रमणकारी है। जिस तरह ओमीक्रोन का विस्तार देश में हो रहा है तथा चंद दिनों में ही यह वैरीयंट 21 राज्यों तक फैल चुका है उसका अत्यंत गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकता है। भले ही देश में इसके बचाव के लिए एहतियातन कुछ भी कदम उठाए जा रहे हो लेकिन वह पर्याप्त नहीं कहे जा सकते हैं क्योंकि इन उपायों के साथ लापरवाहियों की भी सीमाओं को तोड़ा जा रहा है। बाजारों से लेकर तमाम सार्वजनिक स्थलों पर कोरोना नियमों की धज्जियंा तो उड़ाई ही जा रही हैं। वहीं पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर रैलियों में भीड़ की जो रेलम पेल देखी जा रही है वह इसका ताजा उदाहरण है। स्थितियों से मिल रहे संकेत यही है कि इन चुनावों का तय समय पर होना बहुत मुश्किल है और अगर ऐसे हालात में चुनाव हुआ भी तो कोरोना की स्थिति को नियंत्रण में रखना अत्यंत असंभव होगा।

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