चर्चाओं का केंद्र बनी मोदी की कुंमाऊनी टोपी

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क्या यह देवभूमि में `चुनावी खेला होवे, का संकेत है?

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राजपथ पर पहुंचे तो उन्होंने कुंमाऊनी टोपी पहन रखी थी। उनकी इस कुंमाऊनी टोपी पर जैसे ही लोगों की नजर पड़ी तो हर तरफ इसकी चर्चा शुरू हो गई और उनकी कुंमाऊनी टोपी सोशल मीडिया में भी छा गई।
जिसकी जितनी समझ उसने उनकी इस कुंमाऊनी टोपी को उसी तरह से समझा और उस पर कमेंट किया। कुछ लोगों ने इसे देव भूमि उत्तराखंड के प्रति लगाव से जोड़ा तो कुछ लोगों ने इसे `चुनाव में खेला होवे, की नजर से देखा। लेकिन खास बात यह है कि प्रधानमंत्री की कोई भी ड्रेस और काम राजनीति से परे नहीं होता है। प्रधानमंत्री मोदी की खासियत यह भी रही है कि वह जहां भी जाते हैं उस क्षेत्र की वेशभूषा और भाषा का इस्तेमाल बखूबी उन्हें करना आता है। वह अच्छी तरह से जानते हैं कि लोगों का अपने से कनेक्ट करने का इससे बेहतर जरिया और कोई भी नहीं हो सकता है। अभी बीते दिनों दून के परेड ग्राउंड में जब उनकी जनसभा हुई थी तो उन्होंने अपना भाषण गढ़वाली भाषा में अभिवादन करने से शुरू किया था।
किसी राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री मोदी का क्षेत्र या राज्य विशेष की पहचान वाली टोपी का इस्तेमाल भी बेवजह तो नहीं हो सकता है। इन दिनों उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया गतिमान है। भाजपा इस चुनाव में एक बार फिर सत्ता में आकर इतिहास रचना चाहती है। मोदी जानते हैं की टक्कर कड़ी होने वाली है। चुनावी खेला कैसा हो? उनकी कुंमाऊनी टोपी गणतंत्र दिवस समारोह में यही संदेश देती दिख रही थी। लेकिन खेला होवे तो सही, खेला कैसा होवे यह 10 मार्च को आने वाले नतीजे ही बताएंगे, बहरहाल मोदी अपने प्रयास में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं।

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