भाजपा पर भारी न पड़ जाए बगावत?

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20 से 25 सीटों पर सामने आई नाराजगी
निर्दलीय चुनाव लड़ने व पार्टी छोड़ने की धमकी

देहरादून। प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के साथ ही भाजपा में बगावत की आग भड़क उठी है। कई विधायक अपना टिकट काटने पर इतने नाराज हैं कि वह निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदने की बात कह रहे हैं। कई ऐसे हैं जो पार्टी छोड़कर भाजपा से कांग्रेस में जाने की धमकी दे रहे हैं। धारचूला से लेकर रुड़की तक भड़की इस बगावत की आग को भाजपा कैसे बुझा पाएगी अब उसके सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है।
अपना टिकट कटने से नाराज यह नेता चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। धारचूला में बगावत पर आमादा 10 नेताओं के इस्तीफे की खबर आ रही है। थराली से सिटिंग विधायक मुन्नी देवी अपना टिकट कटने से इतनी नाराज है कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं नरेन्द्र नगर से टिकट मिलने पर नाराज ओम गोपाल तो अपनी नाराजगी जताने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि वह उत्तराखंड राज्य के लिए 17 बार जेल गए, गोली खाई लेकिन पार्टी उनके जैसे नेता को भी टिकट न देकर ऐसे लोगों को टिकट दे रही है जो राज्य के लोगों को गालियां देते रहे हैं। बात चाहे कर्णप्रयाग की हो या फिर पौड़ी की जहां से मुकेश कोली की जगह भाजपा ने राजकुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है या फिर खानपुर की जहां से चैपियन की पत्नी को टिकट दिया है अथवा उस झबरेड़ा की जहंा अभी भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया हर जगह बगावत के स्वर सुनाई दे रहे हैं। किच्छा सीट से सिटिंग विधायक को टिकट देने से लेकर रायपुर से सिंटिंग विधायक को टिकट देने तक तमाम सीटों पर विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं। राज्य की जिन 59 सीटों पर अभी प्रत्याशियों की घोषणा की गई है उनमें से 2 दर्जन से अधिक सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा द्वारा तय किए गए प्रत्याशियों का विरोध किया जा रहा है।
यह विरोध सिर्फ सिटिंग विधायकों तक ही सीमित नहीं है जिनके टिकट काटे गए है,ं बल्कि ऐसे अनेक सिटिंग विधायकों का विरोध भी हो रहा है जिन्हें टिकट दिया गया है। विरोध करने वाले नेता भले ही यह जानते हो कि अब उनके विरोध का कोई मतलब नहीं है उनके विरोध से अब प्रत्याशी नहीं बदले जाएंगे। लेकिन चुनाव में भाजपा को इसका बड़ा नुकसान हो सकता है। पौड़ी में जो टिकट दिए गए हैं उनमें एक भी ब्राह्मण चेहरा नहीं है जिसे लेकर ब्राह्मण समाज में नाराजगी है।
बागी और असंतुष्टोेंं को भाजपा कैसे मना पाएगी? और इस बगावत और भीतरघात का चुनाव पर कितना प्रभाव पड़ेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन इस बगावत से भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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