अफसोस जनक बयान बाजी

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अगर सलमान खुर्शीद जैसे नेता हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों से करते हैं या पदमश्री का सम्मान पाने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत देश की आजादी को अंग्रेजी शासकों से मिली भीख मानती है तो ऐसे लोगों की सोच पर सिर्फ अफसोस ही जाहिर किया जा सकता है। इस तरह की सोच रखने वालों से देश को सतर्क रहने की जरूरत है। जो कि विवादों में रहकर नाम कमाना चाहते है। बीते कुछ दशकों से यह एक चलन जैसा बन गया है, ऐसा कुछ भी कह दो जिसे लेकर हंगामा खड़ा हो जाए या ऐसा कुछ कर दो या लिख दो जिस पर राजनीतिक और सामाजिक टकराव व तकरार पैदा हो जाए। ऐसी सोच को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए जो देश और समाज को बांटने वाली हो। सलमान खुर्शीद को यह समझने की जरूरत है कि हिंदुत्व कोई धर्म या संगठन नहीं है एक जीवन पद्धति है जिसका एक गौरवशाली सनातन इतिहास है। हिंदू आतंकवाद और इस्लामिक आतंकवाद जैसे शब्दों की खोज तो उन खुराफाती दिमागों की उपज है जो देश और समाज को सांप्रदायिकता की आग में झौंक कर हाथ सेंकना चाहते हैं। कोई भी व्यक्ति या संप्रदाय अपनी सुरक्षा के लिए कटृरवादी हो सकता है लेकिन वह आतंकवादी नहीं हो सकता जैसे कि आईएसआईएस और बोको हरम है। अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी अगर देश के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पढ़ा और सुना होता तो वह कदाचित भी देश की आजादी को अंग्रेजों से मिली भीख नहीं बता सकती थी। देश की लाखों की कुर्बानियों का प्रतिफल थी देश की आजादी। आजादी की खुली आबोहवा में पैदा हुई कंगना रनौत ने जो बयान दिया है वह उन शहीदों का अपमान है जिन्होंने अंग्रेजों की गोलियां खाई, जेल गए और वंदेमातरम के नारे लगाते हुए फांसी के फंदे पर झूल गए। भाजपा नेता वरुण गांधी अगर कंगना रनौत के बयान को देशद्रोह कह रहे हैं तो इसमें कदाचित गलत ही क्या है। बात कंगना रनौत की हो या फिर सलमान खुर्शीद की, दोनों के बयानों से जन भावनाओं को गंभीर चोट पहुंचना स्वभाविक है। दोनों के ही खिलाफ कुछ लोगों ने कड़ी सजा की मांग करते हुए अदालतों के दरवाजे भी खटखटायें आए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या अदालतों द्वारा इस तरह की मानसिकता को बदला जा सकता है। कंगना रनौत जिन्हें अब राजनीति का भूत सवार है भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में चाहे जितने भी कसीदे पढ़े उन पर कोई रोक नहीं है लेकिन देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, शहीदों और उनकी आन बान पर टीका टिप्पणी कतई उचित नहीं है। सामाजिक जीवन और फिल्मी अभिनय में बड़ा फर्क होता है उन्हें यह अच्छे से समझ लेना चाहिए। खुर्शीद और कंगना जैसे लोगों को यह अच्छे से समझ लेना चाहिए कि विवादित बयानों से हंगामा खड़ा करने वाले नाम नहीं कमाते बदनामी ही कमाते हैं।

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