नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बहु-विवाह को सही ठहराया है। उन्होंने दावा किया कि इस्लाम के अनुसार, मर्द तीन-चार शादी कर सकता है। मदनी के अनुसार, औरतें 45-50 साल की उम्र में बूढ़ी हो जाती हैं, जबकि मर्द 80 वर्ष की उम्र तक जवान रहता है। मौलाना मदनी का बयान ऐसे समय पर आया है, जबकि देश में समान नागरिक संहिता पर बहस छिड़ी हुई है और तीन तलाक-बहु विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथाओं पर रोक लगाने की मांग तेज है। मदनी के बयान की आलोचना करते हुए विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि यह उस सोच का असर है, जिसमें महिलाओं को ‘भोग की वस्तु’ समझा जाता है। उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इसलिए मदनी की बातों पर कोई आश्चचर्य नहीं है। इससे पहले भी कई बार मौलाना अरशद मदनी कह चुके हैं कि इस्लाम के अनुसार, अपनी जरूरतों को पूरा करो। ऐसे में पुरुष अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए कई शादियां कर सकता है। एक करे, दो करे, तीन या चार करे। या तो वह तलाक देकर चौथी शादी करे या सबको साथ लेकर चले।
विधि आयोग द्वारा समान नागरिक संहिता पर मांगे गए सुझावों को लेकर टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि हम इसे कुबूल नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि 1300 सालों से मुस्लिम इस देश में रहते आए हैं। पहले यह मामला कभी नहीं आया। अब ऐसी कौन सी आफत आ गई है? मदनी ने आगे कहा कि बेशक हमें यूसीसी कुबूल नहीं है, लेकिन हम इसके खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरेंगे। हम विधि आयोग के सामने अपनी राय पेश करेंगे। हमने ऐसा करना शुरू भी कर दिया है।